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बलिया

बलिया में पुलिस के खिलाफ पत्रकारों का प्रदर्शन तेज

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मुख्यमंत्री से न्याय की मांग, उठाया ‘अघोषित आपातकाल’ का मुद्दा

बलिया। जिले में पुलिस की कथित पत्रकार विरोधी कार्रवाई के खिलाफ सैकड़ों पत्रकारों ने एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने बांहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया और बांसडीह थाने के प्रभारी संजय सिंह को हटाने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने जिला अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें बलिया पुलिस पर पत्रकारिता के खिलाफ अभियान चलाने का गंभीर आरोप लगाया गया है।इस विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि पत्रकार राजू गुप्ता द्वारा एक नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण से संबंधित खबर प्रकाशित करने से जुड़ी है।

पत्रकारों का कहना है कि इस खबर के बाद बांसडीह पुलिस ने राजू गुप्ता के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की।बताया गया कि 16 जुलाई को जिला न्यायालय परिसर में थाना प्रभारी संजय सिंह ने पत्रकार राजू गुप्ता को खुलेआम धमकी दी, गालियाँ दीं और पत्रकारिता छोड़ने अथवा थाने ले जाकर पीटने की बात कही।

इसके बाद राजू गुप्ता ने 17 जुलाई को कोतवाली में लिखित शिकायत देकर अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई।प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों का कहना है कि बलिया पुलिस अब सवाल पूछने को अपराध मान रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने व्हाट्सएप ग्रुप्स तक पर निगरानी शुरू कर दी है।

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साथ ही, जिस घटना की खबर प्रकाशित की गई, उसमें अपहरणकर्ता के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि पीड़िता के पिता और शिकायत करने वाले भाजपा नेताओं पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया।पत्रकारों का कहना है कि बलिया में एक तरह से ‘अघोषित आपातकाल’ जैसी स्थिति बना दी गई है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि स्वतंत्र पत्रकारिता पर हो रहे दमन को रोका जाए और पुलिस की मनमानी पर नियंत्रण लगाया जाए।

प्रदर्शनकारी पत्रकारों ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि पूरे पत्रकार समुदाय की स्वतंत्रता पर हमला है।बलिया में मीडिया और प्रशासन के बीच बढ़ता तनाव अब एक गंभीर बहस का विषय बनता जा रहा है, जिस पर प्रदेश भर की निगाहें टिकी हुई हैं।

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