गाजीपुर
बंदरों के आतंक से लोग परेशान

गाजीपुर। जिले के बहरियाबाद सहित आस-पास के ग्रामीण गांवों में बंदरों के आतंक से लोग बेहद परेशान और भयभीत हैं। इस क्षेत्र के गांवों में बंदरों के आ जाने से वे दिन-प्रतिदिन लोगों को काटकर घायल कर दे रहे हैं।
बंदरों का आलम यह है कि जिस घर में प्रवेश कर जाते हैं, वहां के सारे सामानों को तितर-बितर कर दे रहे हैं। उन्हें भगाने पर भी नहीं भाग रहे हैं। ज़रा सी लापरवाही होने पर बंदरों का समूह किसी भी व्यक्ति को चारों ओर से घेरकर काट लेता है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
बंदर अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर खाना खाने के चक्कर में एक घर से दूसरे घरों की छतों पर चढ़कर उत्पात मचा रहे हैं, जिससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है।

यह आतंक केवल फसलों को नुकसान पहुंचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि बंदरों के काटने से गंभीर बीमारियाँ भी फैल सकती हैं। बंदर खेतों में घुसकर सब्जियाँ, फल और अन्य फसलें बर्बाद कर रहे हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
घर में घुसकर खाने-पीने की चीजें और अन्य कीमती सामान उठा ले जाते हैं या बर्बाद कर देते हैं। बंदर अक्सर लोगों पर हमला कर देते हैं, जिससे गंभीर चोटें लग जा रही हैं। बच्चे और महिलाएं विशेष रूप से इनके हमलों का शिकार हो रहे हैं।
कई बार बंदरों के डर से लोग छतों पर जाने से भी कतराते हैं या घरों में कैद रहने को मजबूर हो जाते हैं। बंदर मवेशियों को भी काट लेते हैं, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है और कई बार मवेशियों ने दूध देना भी बंद कर दिया है।
बंदरों के काटने से कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- रेबीज: यह एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो संक्रमित जानवरों की लार से फैलती है। बंदरों के काटने से रेबीज होने का खतरा होता है। अगर किसी बंदर में रेबीज का वायरस है, तो उसके काटने से यह इंसान में फैल सकता है।
- लक्षण: बुखार, सिरदर्द, कमजोरी, बेचैनी, पानी से डर लगना, और पक्षाघात।
नोट: रेबीज का कोई प्रभावी इलाज नहीं है और यह हमेशा घातक होता है, इसलिए तुरंत टीका लगवाना बहुत ज़रूरी है।
- हर्पीज बी वायरस: बंदरों में यह वायरस आम होता है और उनके काटने या खरोंचने से यह इंसानों में फैल सकता है। यह वायरस इंसानों में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है, जिससे एन्सेफलाइटिस या मेनिन्जाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियाँ हो सकती हैं।
- बैक्टीरियल संक्रमण: बंदरों के काटने से घाव में बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है, जिससे सूजन, दर्द और मवाद जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। सही इलाज न होने पर यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है।

यदि किसी को बंदर काट ले:
- घाव को तुरंत साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं।
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉक्टर आवश्यक टीके (रेबीज, टिटनेस) और एंटीबायोटिक दे सकते हैं।
सावधानियाँ और समाधान:
बंदरों को भोजन न दें, क्योंकि इससे वे इंसानों के प्रति अधिक साहसी हो जाते हैं और शहरी/ग्रामीण इलाकों में आने लगते हैं।
कूड़ेदानों को ढँक कर रखें ताकि बंदर खाने की तलाश में वहां न आएं।
अपने घरों और फसलों को बंदरों से बचाने के लिए जाली या बाड़ जैसी व्यवस्था करें।
आवाज करके या छड़ी दिखाकर बंदरों को दूर भगाया जा सकता है, लेकिन उन्हें चिढ़ाने या नुकसान पहुंचाने से बचें।
स्थानीय वन विभाग या प्रशासन से संपर्क करके बंदरों को सुरक्षित रूप से पकड़वाने का प्रयास करें और उन्हें जंगल में छोड़ा जाए।