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गाजीपुर

प्रदेश सरकार के दावों की हवा निकालता मोहम्मदाबाद महिला अस्पताल

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मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)। उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, लेकिन मोहम्मदाबाद नगर क्षेत्र स्थित महिला अस्पताल की हालत देखकर इन दावों की हकीकत सामने आ जाती है। तहसील मुख्यालय पर होने के बावजूद यह अस्पताल आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में रात के समय बिजली कटने पर इन्वर्टर की व्यवस्था तक नहीं है। पीने के लिये आर.ओ. पानी का कोई इंतज़ाम नहीं है और शौचालय की हालत इतनी खराब है कि मरीज उसका उपयोग करने से कतराते हैं। अस्पताल परिसर के पिछले हिस्से में फैली गंदगी मरीजों के लिए हमेशा खतरे का कारण बनी रहती हैं। इसके अलावा आवारा कुत्ते भी अक्सर अस्पताल के भीतर घूमते देखे जाते हैं।

डॉक्टरों की अनुपस्थिति भी यहाँ आम समस्या है। सूत्रों का कहना है कि कई बार रात में डॉक्टर नदारद रहते हैं और अस्पताल केवल स्टाफ और दाइयों के सहारे चलता है। ऐसे में प्रसव जैसी गंभीर प्रक्रियाएँ भी बिना डॉक्टर के कराई जाती हैं, जो मरीजों की सुरक्षा के लिए गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

यही नहीं, मरीजों से डिलीवरी के नाम पर 2000 से 4000 रुपये तक वसूले जाने के आरोप भी सामने आए हैं। साथ ही, सरकारी स्टोर पर सस्ती उपलब्ध दवाओं के बजाय मरीजों को बाहर की महंगी दवाएँ लिखी जाती हैं, जिससे उनके आर्थिक शोषण की स्थिति पैदा होती है।

जनता का सवाल है कि जब सरकार स्वास्थ्य विभाग पर इतना बड़ा बजट खर्च कर रही है, तो फिर मोहम्मदाबाद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र का अस्पताल क्यों बदहाल है? यदि सरकार ने यहाँ धन खर्च किया है तो सुविधाएँ कहाँ गईं और यदि नहीं किया तो क्यों?

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