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शिक्षा

पर्यावरण संरक्षण संगोष्ठी का सफल समापन

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53 शोध पत्रों के साथ संपन्न हुआ द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन


प्रयागराज। हण्डिया पीजी कॉलेज, प्रयागराज के प्रशिक्षण संकाय द्वारा आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “पर्यावरण संरक्षण व सतत विकास- सामुदायिक सहभागिता की भूमिका” का द्वितीय दिवस गुरुवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। संगोष्ठी के अंतिम दिन तकनीकी सत्रों में देशभर से आए शोधकर्ताओं द्वारा लगभग 53 शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया।


समापन सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विवेक पाण्डेय ने की। मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. उषा द्विवेदी एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. अवनीश पाण्डेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक प्रशिक्षण संकाय के बीएड एवं एमएड विभागाध्यक्ष डॉ. सोमेश नारायण सिंह ने किया।

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महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विवेक पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा, “इन दो दिनों में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नवीन दिशाएं प्रस्तुत की हैं। यह संगोष्ठी इस बात का प्रमाण है कि भारत के शैक्षणिक संस्थान पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान खोजने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। हमारी युवा पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जो चेतना दिखी है, वह भविष्य के लिए आशाजनक है।”


उन्होंने आगे कहा, “सामुदायिक सहभागिता के बिना पर्यावरण संरक्षण की कोई भी योजना अधूरी रह जाएगी। हमें गांव से लेकर शहर तक, हर स्तर पर लोगों को जागरूक करना होगा। शिक्षा संस्थानों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे समाज में पर्यावरणीय चेतना का प्रसार करें।”


राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. उषा द्विवेदी ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “आयुर्वेद की परंपरा में प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्य स्थापित करने की शिक्षा निहित है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना के साथ हमें पूरी पृथ्वी को अपना परिवार मानकर इसकी रक्षा करनी चाहिए।”


उन्होंने जोर देते हुए कहा, “आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर्यावरण अनुकूल है और इसमें प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करने की शिक्षा है। आज जब हम आधुनिक विकास की दौड़ में शामिल हैं, तो हमें अपनी पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों से सीख लेनी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वे प्राकृतिक रूप से संरक्षण की भावना रखती हैं।”

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विशिष्ट अतिथि डॉ. अवनीश पाण्डेय ने कहा, “आज के युग में जब जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती बन गया है, तो स्थानीय स्तर पर किए जाने वाले प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। यह संगोष्ठी दिखाती है कि हमारे युवा शोधकर्ता इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहे हैं।”


कार्यक्रम के संचालक डॉ. सोमेश नारायण सिंह ने कहा, “इस द्विदिवसीय संगोष्ठी में जो बौद्धिक चर्चा हुई है, वह निश्चित रूप से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नई दिशाएं प्रदान करेगी। शिक्षक प्रशिक्षण संकाय के रूप में हमारी यह कोशिश रहेगी कि भावी शिक्षकों में पर्यावरणीय संवेदना का विकास हो।”


संगोष्ठी के समापन सत्र में डॉ. शारदा सिंह, सुनील कुमार, संतोष कुमार सहित संकाय के अनेक सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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