वाराणसी
परिवार ने बनाई दूरी तो मां ने हरिश्चंद्र घाट पर बेटे का किया अंतिम संस्कार
वाराणसी में एक दुखद घटना में एक मां को अपने 30 वर्षीय बेटे का अंतिम संस्कार अकेले करना पड़ा। बीमारी के कारण परिवार ने उससे दूरी बना ली थी, जिसके चलते मां ने खुद हरिश्चंद्र घाट पर चिता में अग्नि प्रज्ज्वलित की।
औरंगाबाद निवासिनी कुसुम चौरसिया बुधवार देर रात हरिश्चंद्र घाट पर अपने बेटे राहुल का अंतिम संस्कार कर रही थीं। पति नंदलाल चौरसिया उसे 15 वर्ष पूर्व छोड़कर चला गया था और उसका कोई पता नहीं था। कुसुम बर्तन मांजकर गुजारा करती थीं। बेटी का विवाह भी पास में 200 मीटर की दूरी पर किया था, वह जरूरत पड़ने पर मदद लेने आ जाती थी।
लंबी बीमारी से बेटे राहुल की मौत हो गई। आर्थिक तंगी के कारण अंतिम संस्कार कर पाना कठिन था। कुसुम ने बेटी को बुलाया तो उसने ससुराल में गमी होने की बात कहकर आने से इनकार कर दिया। कुसुम बिलखती रहीं कि अपने युवा बेटे को कैसे विदा करें।
मोहल्ले के रोहित चौरसिया ने समाजसेवी अमन कबीर से संपर्क किया। अमन कबीर शव को श्मशान घाट लेकर पहुंचे और अपनी संस्था ‘अमन कबीर सेवा न्यास’ के फेसबुक अकाउंट पर लोगों से मदद की अपील की। देशभर से एक रुपये से 500 रुपये तक की सहायता आई और लगभग 10 से 12 हजार रुपये जुटे।
कुसुम ने रोते-बिलखते बेटे का अंतिम दर्शन कर कांपते हाथों से उसके चेहरे को स्पर्श किया और स्वयं मुखाग्नि दी। बाबा विश्वनाथ से बेटे की मुक्ति की कामना उसके आंसुओं में छलक रही थी।
पहली बार मां ने दी बेटे को मुखाग्नि
अमन कबीर ने बताया कि वे लगभग 100 पारिवारिक अंतिम संस्कार करवा चुके हैं, लेकिन पहली बार किसी मां ने अपने बेटे को मुखाग्नि दी। दारा नगर निवासी अमन कुमार यादव (अमन कबीर) कई लावारिस लोगों का दाह संस्कार करा चुके हैं। उनकी संस्था के फेसबुक अकाउंट में सवा लाख फॉलोवर हैं।
वे जरूरत पड़ने पर फेसबुक पर मदद की गुहार लगाते हैं। जब आवश्यक धनराशि जुट जाती है तो वह तुरंत संदेश देकर अतिरिक्त धन लेने से मना कर देते हैं। लोगों का भरोसा इसी ईमानदारी से बना है और जरूरत पड़ने पर वे मदद को तैयार हो जाते हैं।
