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धर्म-कर्म

पंचगंगा घाट पर स्थित बिंदु माधव मंदिर और आलमगीर मस्जिद का जानें पौराणिक रहस्य

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रिपोर्ट – श्रद्धा यादव

काशी खंड के अनुसार जब भगवान विष्णु काशी आए तो सबसे पहले आदि केशव घाट पर स्थित आदि केशव मंदिर पर आए थे !‌ इस दौरान पंचगंगा तीर्थ स्थल पर भगवान विष्णु की ही तपस्या कर रहे ऋषि अग्नि बिंदु तपस्वी ने वरदान मांगा कि भगवान उनकी तपस्या स्थल पर ही निवास करें और आने वाले समय में उनके नाम से ही भक्तों का कल्याण करें! तभी से यह मंदिर बिंदु माधव तीर्थ के नाम से यह स्थान जाना जाने लगा!

बिंदु माधव मंदिर जो पंचगंगा घाट पर स्थित है, ऐसी मान्यता है कि पंचगंगा घाट में पांच नदियों का संगम है, गंगा ,जमुना ,सरस्वती, धूतपाप और किरणा नदी के संगम के कारण ही यहां का नाम पंचगंगा घाट पड़ा! इसी घाट पर स्थित है बिंदु माधव मंदिर जहां कार्तिक में विशेष रूप से स्नान एवं पूजन का प्राविधान है! ऐसा माना जाता है कि कार्तिक महीने के दौरान भगवान बिंदु माधव की पूजा करनी चाहिए! सूर्योदय के पहले ब्रह्म मुहूर्त में पंचगंगा घाट में डुबकी लगाने से भगवान को दीपदान करना चाहिए! ऐसा करने से भक्त पूर्व जन्म और मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो जाता हैं !

बिंदु माधव मंदिर कभी एक तीर्थ स्थल हुआ करता था! ऐसी मान्यता है कि जब 1669 मे औरंगजेब ने काशी में हमला किया था, उसी वक्त काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ-साथ बिंदु माधव मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया था और बचे अवशेषों से ,”धरहरा आलमगीर मस्जिद” का निर्माण कराया था , मस्जिद मुगल वास्तु कला का एक उदाहरण है जिसमें हिंदू और इस्लामी तत्वों का मिश्रण है! जिसके मीनारें 64मीटर ऊंची थी जहां से दिल्ली का कुतुब मीनार भी देखा जा सकता था! 1949मे एक गिर गई और दूसरी कमजोर मीनार को भी पहले वाली के बराबर कर दिया गया, 1660 में फ्रांस के आए एक यात्री ने अपनी बुक “Trave in India”मे इसका उल्लेख किया है कि यह मंदिर इतना भव्य था कि जिसका विस्तार पंचगंगा घाट से रामघाट तक फैला हुआ था!जिसकी विशेषता का वर्णन प्राचीन ग्रंथो वह मत्स्य पुराण एवं स्कंध पुराण में मिलता है और कई जगह पर तुलसीदास जी ने भी इसकी विशेषता का उल्लेख किया!

वर्ष 1672 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्तमान बिंदु माधव मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था! बिंदु माधव मंदिर में मनाया जाने वाला कार्तिक का पवित्र महीना (अक्टूबर से नवंबर)! ऐसा माना जाता है कि कार्तिक महीने के दौरान सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में पंचगंगा घाट नदी में स्नान करके बिंदु माधव का दर्शन करने से भक्त पूर्व जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं और भगवान विष्णु के निवास बैकुंठ को प्राप्त करते हैं!

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