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वाराणसी

नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया – गंगा में बाढ़ आने का कारण

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वाराणसी। नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने कहा कि, बनारस समेत पूर्वांचल के जिलों में आने वाली बाढ़ का सबसे बड़ा कारण पश्चिम क्षेत्र और पहाड़ी इलाकों में होने वाली बारिश है। पहाड़ी नदियों के कारण ही गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव होता है और प्रयागराज से बलिया तक गंगा में उफान से गंगा बेसिन के किनारे रहने वाली आबादी प्रभावित होती है। बनारस में तीन दिनों से गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के बाद शाम को जलस्तर स्थिर हो गया।

उन्होंने कहा कि,गंगा में ड्रेजिंग कर नहर बनाना सही निर्णय नहीं था, क्योंकि गंगा में जब बाढ़ आती है तो वह अपने साथ बालू और मिट्टी बहा लाती है। घाटों की ओर मिट्टी छोड़ने वाली गंगा दाहिनी ओर रेत छोड़ती हैं। नदी विज्ञानी से सलाह ली गई होती तो काम शुरू नहीं होता।

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, गंगा का जलस्तर शुक्रवार की शाम छह बजे 68.30 मीटर दर्ज किया। जलस्तर में ठहराव बना हुआ है। तीन दिन से लगातार बढ़ता हुआ जलस्तर शाम को छह बजे के बाद स्थिर हो गया। गंगा के पलट प्रवाह के कारण वरुणापार के निचले इलाकों में पांच हजार से अधिक परिवार बाढ़ से प्रभावित हैं। गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी से गंगा घाटों का संपर्क टूटा हुआ है। अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट और नमो घाट पानी में डूबे हुए हैं। जलस्तर की वजह से छोटी नावों के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है।

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गंगा के जल स्तर को लेकर लगातार केंद्रीय जल आयोग और एनडीआरएफ की टीमें लगातार निगरानी कर रही है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक सुबह नौ बजे तक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 68.23 मीटर था। गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण उसकी सहायक नदी वरुणा का जलस्तर बढ़ रहा है।

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