वाराणसी
देवी-देवताओं के नाम और चित्र वाले पटाखों पर लगे रोक : अधिवक्ता शशांक

अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने एनएचआरसी और पुलिस अधिकारियों को भेजा पत्र
वाराणसी। दीपावली के पहले धार्मिक भावनाओं के सम्मान को लेकर एक अहम पहल सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ, काशी क्षेत्र के संयोजक एवं अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) और पुलिस आयुक्त वाराणसी को पत्र भेजकर मांग की है कि ऐसे सभी पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए, जिन पर हिंदू देवी-देवताओं के नाम या चित्र अंकित हों।
अधिवक्ता त्रिपाठी ने अपने पत्र में लिखा है कि बाजारों में इन दिनों बड़ी संख्या में ऐसे पटाखे बिक रहे हैं जिन पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, माँ दुर्गा, भगवान शिव आदि के पवित्र चित्र या नाम छपे होते हैं। इन पटाखों के फटने पर चित्रों का दहन और विकृति होती है, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती है और सामाजिक सौहार्द पर भी असर पड़ता है।
उन्होंने इस प्रकरण को धार्मिक आस्था और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि देवी-देवताओं के नाम या छवियों का व्यावसायिक उपयोग, विशेषकर विस्फोटक वस्तुओं पर, नागरिकों की आस्था और गरिमा पर आघात है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत “गरिमा के साथ जीवन के अधिकार” का भी उल्लंघन है।
कानूनी रूप से इस मुद्दे को उन्होंने गंभीर बताया। पत्र में उन्होंने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 295A, 298 तथा भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धाराएं 298, 299, 300 और 302 का हवाला दिया है, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले कार्यों को दंडनीय अपराध मानती हैं।
साथ ही, उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 51A(e) (सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता) के साथ Universal Declaration of Human Rights (Article 18) का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राज्य का यह दायित्व है कि वह धार्मिक प्रतीकों का सम्मान सुनिश्चित करे और ऐसे उत्पादों पर रोक लगाए।
त्रिपाठी ने एनएचआरसी से मांग की है कि इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए जाएं, ताकि देवी-देवताओं या किसी भी धर्म के पवित्र प्रतीकों वाले पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण रोक लग सके। उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को छापेमारी व निगरानी बढ़ाने तथा जनजागरण अभियान चलाने की भी सिफारिश की है, जिससे समाज में धार्मिक प्रतीकों के सम्मान की भावना मजबूत हो।
पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने डीजीपी उत्तर प्रदेश और पुलिस आयुक्त वाराणसी को भी भेजी है। उन्होंने मांग की कि दोषियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी ने कहा, “देवी-देवताओं की छवियों का अपमान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। प्रशासन को स्थायी समाधान सुनिश्चित करना चाहिए ताकि धार्मिक भावनाओं की रक्षा हो और सामाजिक सौहार्द बना रहे।”
यह पहल धार्मिक आस्थाओं की सुरक्षा, सामाजिक समरसता और ‘सर्वधर्म समभाव’ की संवैधानिक भावना को सशक्त करने की दिशा में एक सार्थक कदम मानी जा रही है।