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वाराणसी

देंदुकुरी श्रीराम घनपाठी को मिला ‘स्वाध्यायमणि’ सम्मान

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वाराणसी। सनातन विद्या की पुण्यभूमि काशी ने एक बार फिर अपने गौरव में स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा के सलक्षण घनपाठी, शास्त्र और श्रौत परंपरा के विद्वान देंदुकुरी श्रीराम घनपाठी को ‘स्वाध्यायमणि’ उपाधि से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित उपाधि उन्हें श्रावण शुक्ल त्रयोदशी के शुभ अवसर पर काशी के कांची कामकोटि मंदिर, हनुमान घाट में आयोजित भव्य शास्त्र सभा में प्रदान की गई।

श्रीराम घनपाठी, देंदुकुरी वेङ्कट सुब्रह्मण्य सोमयाजी के पौत्र और वेदशास्त्र पारंगत देंदुकुरी वीर राघव घनपाठी के सुपुत्र हैं। उन्होंने बाल्यकाल से ही पिता के सान्निध्य में नियमाध्ययन की परंपरा के अंतर्गत कृष्ण यजुर्वेद का घनान्त अध्ययन आरंभ किया और देश की प्रमुख 21 वेद परीक्षा संस्थाओं में उत्तीर्ण होकर उत्कृष्टता हासिल की। मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने मैसूर में पूज्य गणपति सच्चिदानंद स्वामी से स्वर्ण कंकण सम्मान प्राप्त किया और पुणे में “घन चूडामणि” उपाधि से विभूषित हुए।

श्रीराम घनपाठी ने वेद के कांड त्रय श्रौत का गहन अध्ययन कर यजन-याजन में महारथ प्राप्त की। साथ ही पुणे स्थित ब्रह्मश्री देवदत्त पाटिल की शास्त्र पाठशाला में न्याय शास्त्र का संपूर्ण अध्ययन राजेश्वर शास्त्री देशमुख के मार्गदर्शन में किया। पूर्व में ही विजयवाड़ा की प्राचीन स्वधर्म स्वराज्य संघ सभा की कठिन वेदभाष्य परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त कर उन्हें “स्वाध्यायरत्नम” की उपाधि भी मिल चुकी है।

इस विशिष्ट अवसर पर काशी के प्रतिष्ठित विद्वानों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा दी। अध्यक्षता कर रहे थे प्रो. राजाराम शुक्ल, पूर्व कुलपति सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं वर्तमान संकायाध्यक्ष, बीएचयू। उनके साथ प्रो. रमाकांत पांडेय, प्रो. दिव्यचेतन ब्रह्मचारी, प्रो. बिल्वेश शर्मा, प्रो. ज्ञानेन्द्र सापकोटा, वीर राघव घनपाठी, नारायण घनपाठी, अनिरुद्ध घनपाठी, वी. चंद्रशेखर द्राविड़ घनपाठी, गोविंद पांडेय, बालसुब्रह्मण्यम और रविशंकर जैसे मूर्धन्य विद्वान उपस्थित रहे।

‘स्वाध्यायमणि’ उपाधि केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि वैदिक साधना, विद्या परंपरा और काशी की आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। श्रीराम घनपाठी की इस अद्वितीय उपलब्धि ने न केवल उनके कुल का नाम रोशन किया है, बल्कि समस्त वैदिक समाज को प्रेरणा का स्रोत प्रदान किया है।

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