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वाराणसी

डॉक्टर ने छात्रों को बंधक बनाकर गार्ड से पिटवाया, कोर्ट ने दिया एफआईआर का आदेश

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पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

वाराणसी में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। सड़क पर कीचड़ उछालने के विवाद से शुरू हुई यह घटना बंधक बनाने और मारपीट तक जा पहुंची। आरोप है कि डॉक्टर संजय कुमार सरोज ने नाबालिग छात्रों को अपने आवास ले जाकर गार्ड और मैनेजर से पिटवाया।

घटना 16 जुलाई 2025 की है, जब कक्षा 11 के छात्र अंशुमान सिंह (17) और स्नेहल सिंह (16) स्कूल से लौट रहे थे। बरसात के कारण सड़क पर पानी जमा था। इसी दौरान डॉक्टर संजय अपनी कार से तेजी से गुजरे, जिससे गंदा पानी दोनों बच्चों पर उछल गया और उनकी किताबें भीग गईं। बच्चों ने उनसे गाड़ी धीरे चलाने की बात कही, जिसके बाद आसपास लोग भी इकट्ठा हो गए।

डॉक्टर ने माफी मांगने का नाटक किया और बच्चों को कपड़े सुखाने के बहाने अपने सुंदरपुर स्थित रुद्रा टावर स्थित आवास पर बुला लिया। वहां पहुंचते ही बच्चों को जबरन बंधक बना लिया गया। डॉक्टर के इशारे पर उनके मैनेजर और गार्ड ने दोनों छात्रों को बुरी तरह पीटा। इतना ही नहीं, अंशुमान से 1,356 रुपये की स्कूल फीस भी छीन ली गई और घर से और पैसे मंगाने का दबाव बनाया गया।

पीड़ित छात्र ने मौका पाकर 112 पर कॉल किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें छुड़ाया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि थाना चितईपुर की पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय बच्चों को ही दोषी ठहराया और एक छात्र का चालान कर दिया। पीड़ित परिवार के मुताबिक पुलिस ने दबंग और अमीर होने के कारण डॉक्टर का पक्ष लिया और शिकायत पर कार्रवाई से इनकार कर दिया।

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न्याय न मिलने पर पीड़ितों ने कोर्ट की शरण ली। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने मामले का संज्ञान लेते हुए डॉक्टर संजय कुमार सरोज समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश चितईपुर पुलिस को दिया। अदालत में पीड़ित छात्रों की ओर से अधिवक्ता अनिल सिंह ने पक्ष रखा।

यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और प्रभावशाली लोगों के दबाव में कानून की कमजोर पड़ती स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह होगा कि कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी पुलिस कितनी निष्पक्ष कार्रवाई करती है।

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