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मुम्बई

जुर्माना नहीं भर पाने पर गरीब को जेल में रखना न्याय का मजाक : बॉम्बे हाई कोर्ट

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कैदी की तत्काल रिहाई का बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया आदेश

रिपोर्ट – धर्मेंद्र सिंह धर्मा, ब्यूरो चीफ मुंबई

मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने जुर्माना न भर पाने की असमर्थता के चलते जेल में रहने को मजबूर आपराधिक मामलों में दोषी एक शख्स को राहत दी है। कोर्ट ने पाया कि शख्स सजा पूरी करने के बाद भी सिर्फ इसलिए डिफॉल्ट में जेल में था, क्योंकि वह जुर्माने की रकम भर पाने में सक्षम नहीं था। कोर्ट ने कहा कि ऐसी हालत में शख्स का जेल में रहना एक तरह से न्याय का मजाक बनाने जैसा होगा। जस्टिस भारतीय डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने शख्स को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट ने की यह टिप्पणी – बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि काले निर्धन है। वह समाज के कमजोर तबके से आता है। जुर्माना न भर पाने के चलते उसे नौ साल और जेल में बिताने पड़ेंगे। यह स्थिति हमारी राय में न्याय का उपहास करने जैसी है। बेंच ने काले की डिफॉल्ट सजा को घटा कर उतना कर दिया, जितना वह जेल में बीता चुका है। काले वास्तविक सजा 2020 में ही पूरा कर चुका था। चार साल से वह जुर्माना न भर पाने के चलते जेल में था।

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बता दें कि, यह मामला 14 मामलों में दोषी पाए गए सिकंदर काले से जुड़ा है। उसने जुर्माना न भर पाने के चलते डिफॉल्ट सजा को घटाने की मांग की थी। काले को 2019 में चोरी के मामलों में दोषी पाया गया था, लेकिन वह 2017 में गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में था। हर मामले में उसे दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। सारी सजाए समांतर चल रही थी।

कारावास के अलावा उस पर दो लाख 65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। जुर्माना न भर पाने पर डिफॉल्ट के तौर पर जेल में रखने का निर्देश दिया गया था। गरीबी के चलते काले जुर्माने की रकम भर पाने में असमर्थ था। इसके चलते उसे जेल में और नौ साल बिताने थे, इस पर काले ने कोर्ट में गुहार लगाई थी।

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