पूर्वांचल
जाने चंदौली के लोकप्रिय नेता चंद्रशेखर सिंह के बारे में, जिन्होंने पंडित कमलापति त्रिपाठी को हराने के बाद खूब बटोरी थीं सुर्खियां
चंदौली के विधायक और वाराणसी के सांसद रहे चंद्रशेखर सिंह की राजनीति को आज भी लोग याद करते हैं। सकलडीहा क्षेत्र के पौरा गांव के किसान परिवार में जन्मे चंद्रशेखर राजनीति में डॉ. राममनोहर लोहिया और राजनारायण के विचारों से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चंदौली विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और तत्कालीन सिंचाई मंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी को हराकर भारतीय राजनीति में चंदौली में अपनी चमक बढ़ाई थी।
उस समय चंद्रशेखर सिंह की उम्र महज 28 साल थी और चंद्रशेखर का चुनाव प्रचार करने डॉ. राममनोहर लोहिया चंदौली आए थे।साल 1975 के दौरान कांग्रेस आपातकाल के दौर से गुजर रही थी। 1977 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर चरम पर थी। कांग्रेस ने राजाराम शास्त्री को मैदान में उतारा था। इधर जनता पार्टी ने चंद्रशेखर सिंह को मैदान में उतार दिया। इस चुनाव में वाराणसी की जनता ने उन्हें अपना हीरो मान लिया। लोग खुद चुनाव प्रचार अपने हाथ में ले लिए। घर-घर जाकर जनता ने उनके लिए वोट मांगे। परिणाम आया तो राजाराम शास्त्री कांग्रेस से चुनाव हार गए चंद्रशेखर सिंह सांसद बन गए।

इसके अलावा एक वक्त के बाद जनता पार्टी में जब टूट हुई तब बाद में वह जनता दल से जुड़ गए। उन्हें 1989 के विधानसभा चुनाव में चिरईगांव से टिकट दिया गया। इस चुनाव में भी उन्हें जनता ने एक बार फिर जीत दिलायी।
चंद्रशेखर सिंह के बेटे नीरज बताते हैं कि, वाराणसी और आसपास के जिलों में उनके पिता बड़ी राजनैतिक हस्ती थे। जनता की सेवा उनके खून में था। उनके चुनाव में गरीब मजलूम सब एक हो जाते थे। उसी का परिणाम रहा कि उन्होंने विधानसभा और लोकसभा में अलग-अलग सीटों से जीत हासिल की। इसके अलावा आज भी हमारे घर में वो जीप विरासत की तरह रखी गई है। जिसमें सवार होकर पिता जी आया करते थे। वो जीप लकी थी। उस पर विजय की माला पहनकर पिता जी आया करते थे।
