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गाजीपुर

जानलेवा साबित हो रहे हैं आवारा कुत्ते

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गाजीपुर। जिले के बहरियाबाद और आस-पास के क्षेत्रों में इस समय आवारा कुत्तों का झुंड बनाकर घूमना आम आवागमन को बाधित कर रहा है। इन कुत्तों के चपेट में आने से कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। आलम यह है कि इन आवारा कुत्तों के चलते छोटे-छोटे पशुओं, बकरियों को चराते समय अचानक आक्रमण हो जाने से उनकी भी जान चली जा रही है। ग्रामीण इलाकों में आवारा कुत्तों के झुंड को देखकर हर कोई भयभीत नजर आ रहा है।

आवारा कुत्ता इतना खतरनाक होता है कि घर के अंदर भी घुसकर सारे सामान को तीतर-बीतर कर रहे हैं और भागने से भी नहीं भागते। आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या एक जटिल मुद्दा बनकर रह गई है, जिसमें कानून, जानवरों के प्रति दया और सार्वजनिक सुरक्षा जुड़े हुए हैं।

आवारा कुत्तों से जुड़ी कानून व्यवस्था: भारत में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए कानून और नियम हैं, जो मुख्य रूप से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 पर आधारित हैं। इन नियमों का उद्देश्य आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करना है। नियमों के अनुसार, आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाती है और उन्हें रेबीज़ का टीका लगाया जाता है। इसके बाद उन्हें उसी जगह पर वापस छोड़ दिया जाता है।

भारतीय संविधान की धारा 51A(g) नागरिकों को सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और करुणा दिखाने का मौलिक कर्तव्य देती है।

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कुत्तों के काटने से सबसे बड़ा खतरा रेबीज़ का होता है। रेबीज़ एक घातक वायरल बीमारी है, जो संक्रमित जानवरों (जैसे कुत्ते, बंदर, चमगादड़) की लार से फैलती है। यह सीधे तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है और समय पर इलाज न होने पर मृत्यु निश्चित है।

रेबीज़ के अलावा, कुत्ते के काटने से निम्नलिखित समस्याएं और संक्रमण हो सकते हैं:

जीवाणु संक्रमण: कुत्ते के मुँह में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं, जो काटने से घाव में प्रवेश कर सकते हैं। इससे घाव में पस, सूजन, दर्द और बुखार जैसी समस्याएँ हो जाती हैं।

टिटनेस: अगर कुत्ते के काटने का घाव गहरा है, तो टिटनेस का खतरा रहता है। यह एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है, जो मांसपेशियों में ऐंठन और अकड़न का कारण बनता है।

सेल्युलाइटिस: यह त्वचा और उसके नीचे के ऊतकों का जीवाणु संक्रमण है, जिससे त्वचा लाल और सूज जाती है।

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पास्टुरेला: यह कुत्ते के मुँह में पाए जाने वाले खास बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है, जिससे घाव में तेजी से सूजन और दर्द होता है।

कुत्तों के काटने का निदान (इलाज):

कुत्ते के काटने के बाद तुरंत ये कदम उठाना बहुत ज़रूरी है:

घाव की सफाई: सबसे पहले घाव को बहते पानी और साबुन से कम से कम 10-15 मिनट तक धोएँ। यह वायरस को हटाने में मदद करता है।

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तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ: घाव को धोने के बाद बिना देर किए किसी डॉक्टर या अस्पताल में जाएँ।

रेबीज़ का टीका: डॉक्टर घाव की गंभीरता के आधार पर रेबीज़ के टीके की सलाह देंगे। यह आमतौर पर कई खुराकों में दिया जाता है (जैसे 0, 3, 7, 14, 28वें दिन)।

एंटी-रेबीज़ सीरम: अगर घाव गहरा या गंभीर है, तो डॉक्टर घाव के आसपास एंटी-रेबीज़ सीरम भी लगा सकते हैं। यह तत्काल सुरक्षा देता है।

टिटनेस का इंजेक्शन: अगर आपका टिटनेस का टीका पुराना है या नहीं लगा है, तो डॉक्टर आपको टिटनेस का इंजेक्शन भी देंगे।

एंटीबायोटिक्स: जीवाणु संक्रमण को रोकने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स भी लिख सकते हैं।

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रेबीज़ एक जानलेवा बीमारी है और इसका एकमात्र बचाव समय पर सही इलाज और टीकाकरण है।

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