वाराणसी
जमानत याचिकाओं में बढ़ती सख्ती पर अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने जताई चिंता
वाराणसी। वाराणसी जनपद में जमानत याचिकाओं के निस्तारण को लेकर न्यायिक प्रक्रिया में आई हालिया विसंगतियों पर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने ज़िला जज को संबोधित पत्र में बताया कि जहां पहले मजिस्ट्रेट न्यायालयों में जिन मामलों में जमानत स्वीकृत हो जाती थी, अब उन्हीं मामलों में सत्र न्यायालय से भी जमानत पाना अत्यंत कठिन हो गया है।
उन्होंने लिखा कि पहले हत्या जैसे गंभीर मामलों में भी मुख्य अभियुक्त को छोड़कर अन्य सहअभियुक्तों को जमानत मिल जाती थी। इसी तरह दहेज हत्या जैसे मामलों में पति को छोड़कर अन्य लोगों की जमानत सामान्य रूप से मंजूर होती थी। मगर वर्तमान में सत्र न्यायालयों द्वारा भी जमानत याचिकाओं को लगातार खारिज किया जा रहा है, जिससे वादकारियों और अधिवक्ताओं में निराशा का माहौल है।
त्रिपाठी ने यह भी उल्लेख किया कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में इस पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा है कि सुविधाएं दिए जाने के बावजूद जिला न्यायालयों द्वारा उचित निस्तारण न किए जाने से उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय पर अनावश्यक दबाव बढ़ रहा है। ऐसे प्रार्थना पत्र जो ज़िला स्तर पर निपटाए जा सकते थे, उन्हें अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को देखना पड़ रहा है।
उन्होंने चेताया कि इससे न केवल जिला न्यायालयों की प्रासंगिकता कम हो रही है बल्कि वादकारी वर्ग भ्रष्टाचार की ओर धकेले जा रहे हैं, जिससे पुलिस और अन्य एजेंसियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
अधिवक्ता वर्ग और आम जनता के बीच असंतोष और अविश्वास की भावना बढ़ रही है।इस स्थिति को देखते हुए श्री त्रिपाठी ने आग्रह किया है कि जनपद के समस्त न्यायिक अधिकारियों की एक बैठक आहूत की जाए, जिसमें इस मुद्दे पर गंभीर विचार-विमर्श कर कोई ठोस समाधान निकाला जा सके।
