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वाराणसी

जनऔषधि केंद्रों की हालत बदहाल, डेंगू से कैंसर तक की दवाएं नदारद

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मरीजों को मजबूरी में खरीदनी पड़ रहीं महंगी दवाएं

वाराणसी। जिले के सरकारी अस्पतालों के भीतर संचालित जनऔषधि केंद्रों की स्थिति चिंताजनक है। यहां कैंसर और लीवर के इलाज की दवाइयां तो दूर, डेंगू, बुखार, मलेरिया, सांस और फेफड़े के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। हालत यह है कि मरीजों को इलाज के लिए प्राइवेट दुकानों से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं, जिससे उनकी जेब पर भारी असर पड़ रहा है।

डेंगू के इलाज में उपयोग होने वाला अल्बुमिन इंजेक्शन बाजार में 6 से 12 हजार रुपये में मिलता है, जबकि जनऔषधि केंद्र पर इसकी कीमत मात्र 3000 रुपये है। इसी तरह कैंसर की दवा कैपसिटाबिन इंजेक्शन बाजार में 1000 से 5000 रुपये में उपलब्ध है, लेकिन केंद्र से केवल 400 रुपये में मिलता है। मरीजों को पांच से छह डोज़ तक की ज़रूरत पड़ती है। इसके अलावा डॉक्सिटेक्सान इंजेक्शन बाजार में 10 से 12 हजार रुपये का है, जबकि जनऔषधि केंद्र पर इसकी कीमत केवल 2000 रुपये है। उपलब्धता न होने के कारण मरीज और उनके तीमारदार महंगे दामों पर दवा खरीदने को मजबूर हैं।

35 हजार से अधिक मरीज रोज पहुंचते हैं अस्पताल
मिली जानकारी के मुताबिक, बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल, जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, जिला महिला अस्पताल, रामनगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल और सीएचसी केंद्रों पर प्रतिदिन 35 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। अकेले बीएचयू में ही रोज़ाना 18 हजार से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज कराते हैं। अस्पतालों की फार्मेसियों पर दवाओं के लिए दो से तीन घंटे तक लाइन लगती है, वहीं जनऔषधि केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है।

डॉक्टर बताते हैं कहां से लें दवा
बीएचयू की एक फार्मेसी के पूर्व सहायक प्रबंधक अमित सेठ ने बताया कि डॉक्टर चैंबर के भीतर ही मरीजों को बता देते हैं कि उन्हें कहां से दवाएं खरीदनी हैं। गांव से आने वाले लोगों को दवाओं के कॉम्बिनेशन की जानकारी नहीं होती। ऐसे में डॉक्टर जहां से दवा लेने को कह दें, वहीं से मरीज दवा लेने को मजबूर हो जाते हैं।

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कॉम्बिनेशन की दवाएं भी नहीं
फार्मासिस्ट रतन सिंह का कहना है कि सामान्य बुखार या अन्य समस्याओं में डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं लिखते हैं। जनऔषधि केंद्रों पर सस्ती दवाएं मौजूद रहती हैं, लेकिन कई बार डॉक्टर उससे मिलती-जुलती कॉम्बिनेशन वाली दवाएं लिख देते हैं। ऐसे में मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं।

ये दवाएं जनऔषधि केंद्रों पर नहीं मिल रहीं
कैंसर की दवाएं: कैपसिटाबिन, आईमाटीनिब, इंडोक्सान, सर्कुमिन, सिस्प्लाटिन इंजेक्शन, पैक्लिटैक्सेल इंजेक्शन, जेम्सिटाबिन इंजेक्शन, डॉक्सिटेक्सान इंजेक्शन।
लीवर और गैस्ट्रो संबंधी दवाएं: रिफाक्सामिन, मेबेवेरिन, वोरिकोनाजोल, सेफ्टाजिडिम इंजेक्शन, अल्बुमिन।


सांस और फेफड़े संबंधी दवाएं: एसिब्रोफायलिन, बिलास्टिन, एसिब्रोफायलिन के साथ मांटेलुकास्ट सोडियम।

सीएमओ का दावा
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. संदीप चौधरी का कहना है कि जनऔषधि केंद्रों पर 244 प्रकार की दवाइयां रखवाई गई हैं। कुछ दवाएं ऐसी हैं जिनके मरीज कम आते हैं, इसलिए वे उपलब्ध नहीं रहतीं। यदि कोई दवा नहीं मिल रही है तो उसे जल्द उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।

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