धर्म-कर्म
चमत्कार का साक्षात प्रमाण है काशी का चंद्रकूप, ऐसा कुआं जिसमें परछाई ना दिखने पर 6 महीने में मृत्यु निश्चित
काशी खंड के चंद्र पुराण के अनुसार एक बार भगवान चंद्र को उनके ससुर दक्ष ने उन्हें क्षय होने का श्राप दे दिया था। इस श्राप से मुक्ति के लिए तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु भगवान चंद्रमा ने अपने नाम के शिवलिंग ,चंद्रेश्वर शिवलिंग की स्थापना की और एक कूप बनवाया। इसी कूप के जल से 100000 वर्ष तक चंद्रेश्वर शिवलिंग का अभिषेक किया और तपस्या की थी जिससे शिवजी ने प्रसन्न होकर भगवान चंद्रमा को शाप मुक्त कर दिया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, मान्यता है कि जो लोग कुएं में झांकते हैं और उनकी परछाई नहीं दिखती है तो उनकी मौत अगले 6 माह के अंदर हो जाती है। आसपास में ऐसी कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। इसलिए लोग कुएं की भविष्यवाणी को सच मानते हैं। कुएं में परछाई दिख गई तब तो ठीक है, लेकिन अगर नहीं दिखी तो आप मौत के बहुत करीब है।
भगवान शिव ने चंद्रमा को जल बीज औषधि एवं ब्राह्मणों का राजा बनाया एवं चंद्रमा के एक अंश को अपने मस्तक पर धारण किया। मां संकटा मंदिर के पास माता सिद्धेश्वरी मंदिर में प्रवेश करते ही आंगन के मध्य मे चंद्रकूप स्थित है। इस कुएं का इतिहास मां गंगा के अवतार से भी पुराना है। चंद्रेश्वर महादेव शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल सीधे चंद्रकूप में जाता है। ऐसी मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट का जल चंद्र कूप में स्रोत के जरिये आता है।