गोरखपुर
“गोवंश देश की समृद्धि का आधार” : सीएम योगी

गोरखपुर। दीपावली के पंच दिवसीय महापर्व की श्रृंखला के महत्वपूर्ण पर्व गोवर्धन पूजा के अवसर पर बुधवार की सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में विधि-विधान से गोवर्धन पूजा की।
गोपूजन के बाद मुख्यमंत्री ने गोसेवा की और प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि गोवंश भारत की समृद्धि का आधार रहा है और सरकार गो-संरक्षण और संवर्धन के लिए कई योजनाओं के माध्यम से लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने लोगों से इन योजनाओं से जुड़ने की भी अपील की।
दीपावली के दिन से ही गोरखपुर प्रवास कर रहे मुख्यमंत्री ने गोशाला में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गो-पूजन का अनुष्ठान किया। गायों और गोवंश को माला पहनाई, तिलक लगाया और गोमाता का आशीर्वाद लेकर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने गायों और गोवंश को अपने हाथों से गुड़ और केला खिलाया। इस दौरान उन्होंने गायों के नाम लेकर उन्हें पुकारा और उनका खूब दुलार भी किया।
गोवंश संरक्षण और संवर्धन के लिए योजनाएं:
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 16 लाख गोवंश हैं, जिनका भरण-पोषण सरकार अनुदानित कर रही है। इसके लिए तीन विशेष योजनाएं संचालित की जा रही हैं:
- निराश्रित गोवंश योजना: हर गोवंश के लिए सरकार प्रतिमाह 1500 रुपये उपलब्ध कराती है।
- सहभागिता योजना: अन्नदाता किसान जो चार निराश्रित गोवंश की देखभाल करते हैं, उन्हें प्रति गोवंश 1500 रुपये (कुल 6000 रुपये) दिए जाते हैं।
- कुपोषित परिवारों के लिए योजना: ऐसे परिवारों को दूध देने वाली गाय दी जाती है और 1500 रुपये प्रति माह का अनुदान भी मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लोगों ने लाभ लिया है और कुपोषण से सुपोषण की ओर बढ़त हुई है।
गोवर्धन योजना से किसानों को लाभ:
मुख्यमंत्री ने बताया कि गोवर्धन योजना से अन्नदाता किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं। गोबर से कंप्रेस्ड बायोगैस और इथेनॉल बनाने से किसानों को आय भी हो रही है। साथ ही ग्रीन ईंधन के माध्यम से प्रदेश के अंदर नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने और पेट्रोल-डीजल खर्च में बचत करने में मदद मिल रही है।
गोवर्धन पूजा का प्रतीक:
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोवर्धन पूजा भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था का प्रतीक है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गोवंश का महत्व और इस प्रकार के आयोजन इसे दर्शाते हैं। दीपावली जैसे महापर्व के साथ इसे जोड़कर इसकी महत्ता और अधिक प्रभावी बनी है।