गाजीपुर
चार साल से बंद ट्रॉमा सेंटर को मिली संजीवनी
छात्रसंघ की लड़ाई से प्रशासन की टूटी नींद
गाजीपुर में अब सड़क हादसों में अनमोल जिंदगियां नहीं जाएंगी। चार साल से बंद पड़े ट्रॉमा सेंटर को आखिरकार संजीवनी मिल गई है। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के हस्तक्षेप के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने इसे पुनः संचालित करने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है।
चार साल से दवा गोदाम बना था जीवनदाता
2021 में बनकर तैयार हुआ यह ट्रॉमा सेंटर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण महज एक दवा गोदाम बनकर रह गया था। गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के बाद घायलों को वाराणसी रेफर करना पड़ता था, जिससे कई की जान रास्ते में ही चली जाती थी।
छात्रसंघ की दहाड़ से टूटी प्रशासन की नींद
पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय के नेतृत्व में छात्रसंघ प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे को उठाया और 23 जनवरी को जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के माध्यम से उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को ज्ञापन सौंपा। इसमें ट्रॉमा सेंटर की बदहाली और मरीजों की पीड़ा को उजागर किया गया।
स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया, जल्द चालू होगा ट्रॉमा सेंटर
छात्रसंघ की पहल के बाद उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने तुरंत संज्ञान लिया और सीएमओ को ट्रॉमा सेंटर को शीघ्र चालू करने का आदेश दिया। अब वहां सफाई अभियान, रंगाई-पुताई और उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की तैनाती की जाएगी।
अब नहीं बहेगा खून, गाजीपुर को मिलेगा आपातकालीन इलाज
गाजीपुर के हाईवे और फोरलेन पर आए दिन होने वाले हादसों में अब घायलों को तुरंत और बेहतर इलाज मिल सकेगा। वाराणसी तक लंबी और जोखिम भरी यात्रा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे कई जिंदगियां बचाई जा सकेंगी।
पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय ने इसे गाजीपुर की जनता की जीत बताया और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस जनहित के मुद्दे को प्राथमिकता दी।
ट्रॉमा सेंटर के जल्द शुरू होने की खबर से गाजीपुर की जनता में खुशी की लहर है। लोग आशा कर रहे हैं कि अब गंभीर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दूसरे शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।