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वाराणसी

कोडिनयुक्त कफ सीरप की तस्करी में वाराणसी के 26 कारोबारी शामिल

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वाराणसी। गाजियाबाद पुलिस की जांच में कोडिनयुक्त कफ सीरप की तस्करी के मामले में शुभम जायसवाल और उनके पिता भोलानाथ प्रसाद के शामिल होने का खुलासा हुआ है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) की जांच में पता चला कि दोनों ने झारखंड के रांची स्थित अपनी फर्म मेसर्स शैली ट्रेडर्स से वाराणसी के 26 कारोबारियों को बड़ी मात्रा में कोडिनयुक्त सीरप सप्लाई किया। जांच के अनुसार, इस सीरप का उपयोग चिकित्सकीय उद्देश्य के बजाय नशे के लिए किया गया। आरोप है कि 100 करोड़ की 89 लाख शीशी प्रतिबंधित कफ सिरप खरीदी और बेची गई। काशी के ही 93 मेडिकल स्टोर के नाम पर 84 लाख शीशी प्रतिबंधित कप सिरफ खरीदी-बेची गई है। जिस मेडिकल स्टोर के नाम पर कारोबार दिखाया गया उनमें से ज्यादातर मौके पर नहीं मिले। इससे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

जांच में शामिल औषधि निरीक्षक जुनाब अली ने बताया कि उनके तहरीर के आधार पर उपायुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने 11 नवंबर को रांची स्थित शैली ट्रेडर्स द्वारा वाराणसी एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भारी मात्रा में कोडिनयुक्त सीरप बिक्री का सत्यापन करने के निर्देश दिए।

12 नवंबर को सहायक आयुक्त के नेतृत्व में औषधि निरीक्षकों ने 16 फर्मों का निरीक्षण किया, जिनमें मेसर्स जीटी इंटरप्राइजेज, मेसर्स शिवम फार्मा, मेसर्स हर्ष फार्मा बंद पाए गए और मालिकों से संपर्क नहीं हो सका। 13 और 14 नवंबर को सीरप खरीदने वाली 10 फर्मों की जांच की गई, जिनमें मेसर्स डीएसए फार्मा, महाकाल मेडिकल स्टोर, निशांत फार्मा, वीपीएम मेडिकल एजेंसी, बालाजी मेडिकल बंद पाए गए।

औषधि निरीक्षकों के अनुसार, इन फर्मों के अधिष्ठाताओं से संपर्क न होने के कारण यह निष्कर्ष निकाला गया कि कोडिनयुक्त कफ सीरप का दुरुपयोग नशे के लिए किया गया। इसके बाद 28 कारोबारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसमें सप्तसागर मंडी समेत वाराणसी के विभिन्न हिस्सों के दवा कारोबारियों के नाम शामिल हैं।

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जांच प्रक्रिया और औषधि विभाग के निष्कर्ष ने वाराणसी में हड़कंप मचा दिया है, जबकि पुलिस और प्रशासन ने कहा है कि आगे की कार्रवाई जारी रहेगी।

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