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कैंसर रोगियों के लिए भगवान समान हैं- डॉ. स्वप्निल पटेल

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उपकार हॉस्पिटल

वाराणसी: सुंदरपुर स्थित उपकार हॉस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ सर्जन डॉ. स्वप्निल पटेल अपने कार्यों के जरिए कैंसर रोगियों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। यह बात सोनभद्र जिले के निवासी संजय जी ने उस समय कही जब वे इस अस्पताल से पूर्ण रूप से ठीक होकर बाहर निकले।

संजय जी ने बताया, “मैं तो जीने की सारी उम्मीदें छोड़ चुका था। अपने कैंसर के इलाज के लिए सोनभद्र और वाराणसी के कई नामी अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मुझे किसी माध्यम से उपकार हॉस्पिटल के बारे में पता चला। जब मैं यहाँ पहुँचा और डॉक्टर स्वप्निल से मिला, तो उन्होंने तुरंत मेरे कैंसर की बारीकी से जाँच करवाई और इलाज शुरू किया। मेरा ऑपरेशन करीब 15-16 घंटे चला, जिसमें डॉक्टर स्वप्निल और उनकी पूरी टीम ने जी-जान लगाकर मेरी सर्जरी की। ऑपरेशन के बाद मुझे तीन-चार दिन ICU में रखा गया, फिर जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया। मैं आज पूरी तरह स्वस्थ हूँ और इसके लिए मैं डॉक्टर साहब और उनकी पूरी टीम का दिल से धन्यवाद करता हूँ। मेरे लिए ये सिर्फ डॉक्टर नहीं, बल्कि भगवान हैं।”

इसी तरह, चंदौली जिले के चकिया निवासी राजेश यादव का केस भी बेहद चुनौतीपूर्ण था। वाराणसी के एक प्रसिद्ध संस्थान में दांत का इलाज करवाने के दौरान उनके मुँह में कैंसर का पता चला, जिससे उन्हें खाने-पीने और बोलने में काफी परेशानी होने लगी। उनके रिश्तेदार राहुल यादव, जो BHU के बगल में रसिकरहिया क्षेत्र के निवासी हैं, पहले से ही उपकार हॉस्पिटल की उपलब्धियों के बारे में जानते थे। उन्होंने बताया, “मैंने इस अस्पताल के बारे में बहुत सुना था, लेकिन जब यहाँ आया, तो जो देखा वह सुनने से कहीं ज्यादा अच्छा था। हम डॉक्टर स्वप्निल पटेल और पूरी टीम का दिल से आभार व्यक्त करते हैं, विशेष रूप से स्टाफ सविता जैसल का, जिन्होंने राजेश जी की पूरी देखभाल बहुत समर्पण से की।”

डॉ. स्वप्निल पटेल ने बताया कि राजेश यादव की सर्जरी में लगभग 8 घंटे लगे, जिसमें 4 घंटे उन्होंने स्वयं ऑपरेशन किया और बाकी 4 घंटे प्लास्टिक सर्जन की टीम ने चेहरा सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की। उन्होंने कहा, “मुंह के कैंसर में चेहरा खराब होने की संभावना रहती है, इसलिए प्लास्टिक सर्जरी आवश्यक थी। अब राजेश जी पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने घर लौट रहे हैं।”

डॉ. स्वप्निल ने अंत में कहा, “मेरा प्रयास हमेशा यही रहता है कि मैं हर मरीज का इलाज भगवान को साक्षी मानकर करूं, ताकि भगवान भी मेरा साथ दें और मैं समाज में अपने हॉस्पिटल को एक ऊँचा दर्जा दिला सकूं।

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