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वाराणसी

काशी सर्राफा मंडल हुआ फिर से सक्रिय, रवि सर्राफ निर्विरोध बने अध्यक्ष

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वाराणसी। काशी के प्रतिष्ठित सर्राफा व्यापारियों की ऐतिहासिक संस्था श्री काशी सर्राफा मंडल, जो वर्षों से निष्क्रिय अवस्था में थी, अब पुनः कानूनी रूप से सक्रिय होने जा रही है। मंडल के नव-निर्वाचित अध्यक्ष रवि सर्राफ ने अपने प्रतिष्ठान पर आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था की स्थापना 1963 में हुई थी और एक समय यह काशी के सर्राफा व्यापारियों के लिए सुरक्षा और संगठन का केंद्र थी, लेकिन बीते 25 वर्षों में इसका न तो नवीनीकरण हुआ और न ही लेखा परीक्षण।

रवि सर्राफ ने कहा कि वरिष्ठ व्यापारियों के साथ विचार-विमर्श और लीगल एडवाइजर्स से सलाह के बाद यह स्पष्ट हुआ कि पुराने मंडल का नवीनीकरण संभव नहीं है। ऐसे में उसी नाम से नया पंजीकरण कराया गया है, जो अब विधिक रूप से मान्य है। उन्होंने सर्राफा समुदाय से अपील की कि वे किसी भी भ्रामक जानकारी या समानांतर बैठकों से बचें और यदि संस्था की वैधता पर कोई संशय हो तो रजिस्टार सोसाइटी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

रवि सर्राफ ने यह भी बताया कि श्री काशी सर्राफा मंडल का सदस्यता अभियान प्रारंभ हो चुका है और इच्छुक व्यापारी संपर्क करके सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। शीघ्र ही एक आम सभा आयोजित कर संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा।

पूर्व पदाधिकारियों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए उन्होंने गुरु प्रसाद सेठ, अशोक अग्रवाल और मुरलीधर सेठ को पितातुल्य बताया और कहा कि उन्हीं के सान्निध्य में उन्होंने सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी।

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पत्रकार वार्ता में बड़ी संख्या में सर्राफा व्यवसाय से जुड़े गणमान्य व्यापारी उपस्थित रहे, जिनमें पवन मिश्रा, कुमार दबे (राघव), प्रद्युम्न अग्रवाल, शैलेंद्र वर्मा, दयाशंकर सेठ, ईश्वर चंद्र वर्मा, हरविंदर सिंह राजपूत, मयाशंकर सेठ, टनमन जी, पीयूष गुप्ता, अरुण सोनी, पंकज सर्राफ, राजेश सेठ केराकत, कमलेश चंद्र वर्मा, संजय अग्रवाल (बाबू), सोनू सेठ, अनिल चंचल, महेश सेठ, उमेश उपाध्याय, किशोर सेठ, पृथ्वीपाल सिंह, जतिन रस्तोगी, गणेश कसेरा, गोपाल उपाध्याय, कमल कुमार सिंह, राजू वर्मा, जनार्दन वर्मा आदि प्रमुख रहे।

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