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वाराणसी

काशी में 10 मार्च को गूंजेगा रंगभरी एकादशी का जयघोष, शुरू हुई तैयारियां

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वाराणसी। महादेव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी का पावन उत्सव 10 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती और प्रथमेश की चल प्रतिमा की भव्य पालकी यात्रा निकाली जाएगी, जिसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। सैकड़ों वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार बाबा की पालकी की सफाई और मरम्मत का कार्य टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास पर पूरा किया जा रहा है।

महंत आवास में बाबा की पारंपरिक पालकी को विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है, जिसे सजाने की जिम्मेदारी पप्पू जी निभा रहे हैं। वहीं, दशाश्वमेध क्षेत्र में टेलर मास्टर विनोद बाबा के लिए राजसी खादी वस्त्र तैयार कर रहे हैं। ये दोनों कारीगर अपने परिवार की तीसरी और चौथी पीढ़ी से इस सेवा को निभा रहे हैं।

रंगभरी एकादशी उत्सव के अंतर्गत 7 मार्च से चार दिवसीय लोकाचार की शुरुआत होगी। पहले दिन टेढ़ीनीम महंत आवास में संध्या बेला के दौरान गौरा को हल्दी चढ़ाने की रस्म होगी, जिसके लिए गुवाहाटी स्थित माता कामाख्या शक्तिपीठ से विशेष हल्दी भेजी जा रही है। महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा की चल प्रतिमा का पारंपरिक विवाह संपन्न हुआ था, जिसके बाद अब गौरा के गौना उत्सव में बाबा विश्वनाथ को पारंपरिक खादी से बनी राजसी पोशाक पहनाई जाएगी।

काशी के काष्ठ कलाकार पप्पू जी ने बाबा की पालकी और सैकड़ों वर्षों पुराने रजत शिवाला की सफाई और सजावट का कार्य पूरा कर लिया है। 10 मार्च को रंगभरी एकादशी के दिन, परंपरा के अनुसार यही रजत शिवाला श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा, जिसके बाद काशी सप्तर्षि आरती संपन्न होगी। बाबा विश्वनाथ, गौरा और प्रथमेश की पालकी को काशीवासी महंत आवास (गौरा सदनिका) से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक भव्य शोभायात्रा के रूप में लेकर जाएंगे।

रंगभरी एकादशी की यह परंपरा भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है, जिसमें बाबा विश्वनाथ के भक्त भक्ति और उल्लास के साथ शामिल होकर काशी की इस अनूठी संस्कृति का साक्षी बनते हैं।

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