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वाराणसी

काशी की प्राचीन परंपरा बचाने मणिकर्णिका घाट पर धरने पर बैठी नगरवधुएं

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी। अमेरिका के जाने-माने लेखक मार्क ट्वेन ने बनारस को लेकर लिखा था कि ये शहर इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से भी पुराना है, लीजेन्ड्स से भी पुराना है। जब इन सभी को मिलाकर संग्रहित कर लिया जाए तो बनारस उस संग्रह से भी दोगुना पुराना है। उत्तर प्रदेश का वो शहर जो धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनियाभर में मशहूर है। बनारस के उसी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को बचाने के लिए काशी की नगरवधुओं ने पीएम मोदी व सीएम योगी से गुहार लगाने काशी के मणिकर्णिका घाट पर धरने पर बैठी है।

दरसल, चैत्र नवरात्र की सप्तमी के दिन मणिकर्णिका घाट पर बाबा महाश्मशान नाथ के वार्षिक श्रृंगार का आयोजन सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है। जहां धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं का नृत्य होता है। लेकिन अब बाबा महाश्मशान वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों ने अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा कर लिया है। जिसके कारण 378 साल से चली आ रही परम्परा पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं।

सोमवार की शाम मणिकर्णिका घाट पर काशी की नगरवधुएं कार्यक्रम स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ धरने पर बैठ गई। नगरवधुएं हाथों में तख्तियां लिए हुई थी जिस पर लिखा था ‘नगरवधुओं की गुहार, पीएम मोदी जी व सीएम योगी जी बचा लीजिए काशी की प्राचीन परंपरा’।

महाश्मशान नाथ सेवा समिति के संरक्षक जंत्रलेश्वर यादव बताते हैं कि राजा मानसिंह द्वारा स्थापित बाबा मसाननाथ के दरबार में कार्यकम पेश करने के लिए उस समय की जानी-मानी नर्तकियों और कलाकारों को बुलाया गया था। चूंकि मंदिर श्मशानघाट के बीचों बीच था, लिहाजा ख्यातिलब्ध कलाकारों ने इनकार कर दिया। राजा ने कार्यक्रम का ऐलान करवा दिया था। अब समस्या यह कि कार्यक्रम कैसे हो? तब नगरवधुओं को आमंत्रित किया गया। नगरवधुओं ने राजा मानसिंह का निमंत्रण स्वीकार किया और तब से यह परंपरा चली आ रही है। लेकिन यदि इस बार कार्यक्रम स्थल से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो सैकड़ों साल से चली आ रही प्राचीन परंपरा इस बार टूट सकती है।

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बाबा महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता ने बताया, बाबा श्मशान नाथ का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव इस बार 6 अप्रैल से शुरू होगा। जिसमें पहले दिन बाबा का रुद्राभिषेक पूजन हवन का कार्यक्रम है। दूसरे दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। 8 अप्रैल प्राचीन परम्परा को निभाते हुए नगर वधुएं बाबा के दरबार मे अपनी हाजिरी लगाएंगी। जंत्रलेश्वर यादव ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर जहां मंच लगते हैं वहीं अवैध रूप से लकड़ी रखकर कब्जा जमा लिया गया है। जिसके कारण सैकड़ों साल से चली आ परंपरा टूटने के कगार पर है। 

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