गोरखपुर
एआई पर संकाय विकास कार्यक्रम का शुभारंभ, देशभर से कई शिक्षक हुए शामिल
शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी पाटेगा एआई पर आधारित संकाय विकास कार्यक्रम
गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग द्वारा दिनांक 23 से 30 दिसंबर 2025 तक आयोजित किए जा रहे “प्रोसेस सेंट्रिक एंड रिवॉर्ड बेस्ड इंटरप्रिटेबल मॉडल्स इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” विषयक संकाय विकास कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में हुआ।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में कार्यवाहक कुलपति प्रो वी के गिरी मौजूद रहे, जबकि आईआईटी प्रयागराज के प्रो. सतीश कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो राकेश कुमार ने की। मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, सहित अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर तथा वाग्देवी एवं पंडित मालवीय के चित्र पर पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो राकेश कुमार ने कहा कि आज की तेजी से विकसित हो रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकें हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में प्रभाव डाल रही हैं, चाहे वह स्वास्थ्य सेवा हो, वित्तीय प्रणाली, स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ या ऑटोमेशन। प्रो. कुमार ने प्रतिभागियों से अपील की कि वे अपने शैक्षणिक और शोध कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यावहारिक अनुप्रयोगों को समझें और विकसित करें।
उन्होंने कहा इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग के बीच मौजूद अंतर को कम करना है। इस तरह के कार्यक्रम विभिन्न अकादमिक अभ्यास, उद्योग परियोजनाएँ और अनुसंधान सहयोग प्रतिभागियों को वास्तविक जीवन की समस्याओं से जोड़ते हैं और उन्हें नवाचार के लिए सक्षम बनाते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को उत्साहित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का लाभ उठाकर वे नवीनतम तकनीकी रुझानों, शोध-आधारित दृष्टिकोण और व्यावसायिक कौशल में सशक्त बन सकते हैं।
आईआईआईटी प्रयागराज के प्रो सतीश कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) अब केवल एक जटिल तकनीकी अवधारणा नहीं रह गई है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। स्मार्ट असिस्टेंट, अनुशंसा प्रणालियाँ, धोखाधड़ी पहचान, नेविगेशन, व्यक्तिगत शिक्षण तथा निर्णय सहायता प्रणालियों से लेकर अनेक क्षेत्रों में AI चुपचाप मानव की रोज़मर्रा की गतिविधियों को प्रभावित कर रही है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्व मात्र इतना नहीं है कि वह हमारे कार्यों को स्वचालित करती है बल्कि वह हमें तेज़, बेहतर, और ज्यादा सूझ भरे या डेटा ड्रिवन निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती है जो इसकी असली ताकत है। उन्होंने विशेष रूप से इंटरप्रिटेबल आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जहाँ पारंपरिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल अक्सर एक “ब्लैक बॉक्स” की तरह कार्य करते हैं, वहीं एक्सप्लेनेबल एआई का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रणालियों को पारदर्शी, समझने योग्य और विश्वसनीय बनाना है।
उन्होंने कहा कि किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रणाली द्वारा लिए गए निर्णय से भी अधिक महत्वपूर्ण यह समझना है कि वह निर्णय क्यों और कैसे लिया गया। यह व्याख्येयता उपयोगकर्ताओं में विश्वास उत्पन्न करती है, उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती है और नैतिक एवं जिम्मेदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कार्यान्वयन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मुख्य अतिथि कार्यवाहक कुलपति प्रो वी के गिरी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब केवल शोध प्रयोगशालाओं तक सीमित एक भविष्य की अवधारणा नहीं रह गई है, बल्कि यह एक शक्तिशाली उपकरण बन गई है जो स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वित्त और शासन जैसे उद्योगों को सक्रिय रूप से आकार दे रही है। उन्होंने साक्षरता की बदलती परिभाषा को रेखांकित करते हुए कहा कि परंपरागत रूप से, साक्षरता का अर्थ केवल पढ़ने और लिखने की क्षमता होता था। कंप्यूटर के आगमन के साथ, साक्षरता का दायरा बढ़कर मूल कंप्यूटर ज्ञान को भी शामिल करने लगा। आज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में जो लोग अपने दैनिक पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरणों को समझते या उपयोग नहीं करते, वे निकट भविष्य में कार्यान्वयनात्मक रूप से अशिक्षित माने जा सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे AI प्रौद्योगिकियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ें, परिवर्तन के अनुकूल हों, और तेज़ी से विकसित हो रहे डिजिटल माहौल में प्रासंगिक बने रहने के लिए अपने कौशल को निरंतर उन्नत करें।
इस संकाय विकास कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से कुल 70 शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है। आमंत्रित वक्ताओं में प्रतिष्ठित शिक्षाविदों तथा उद्योग विशेषज्ञों की मौजूदगी होगी जिनमें IIIT इलाहाबाद, गूगल क्लाउड प्लेटफॉर्म, माइक्रोसॉफ्ट (जापान), कार्डिफ स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजीज़ सहित अन्य प्रमुख शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।
