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वाराणसी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीएचयू के ऊपर लगाया हर्जाना

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वाराणसी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) पर 30,000 रुपये का हर्जाना लगाया है। यह जुर्माना अदालत के आदेश के बावजूद दो बार समय देने के बाद भी जवाबी हलफनामा दाखिल न करने और निर्धारित समय पर बहस न करने के कारण लगाया गया है। अदालत ने तीसरी बार हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देते हुए यह हर्जाना लगाया है।

न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने यह आदेश कंचन मौर्या और दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। सुनवाई के दौरान बीएचयू की अधिवक्ता ने अदालत से जवाबी शपथ पत्र दाखिल करने के लिए और समय की मांग की, जिसका याचियों के अधिवक्ता ने विरोध किया।

याचियों के अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय पहले ही दो बार समय दे चुकी है, लेकिन हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। इस पर अदालत ने अतिरिक्त समय देने से इनकार करते हुए बीएचयू के अधिवक्ता से बहस करने को कहा।

अधिवक्ता ने यह तर्क दिया कि उनके वरिष्ठ ने उन्हें कोई निर्देश नहीं दिया है और फ़ाइल भी उनके पास नहीं है। जब अदालत ने दूसरी वकील के बारे में पूछा, तो पता चला कि वह अदालत छोड़कर जा चुकी थीं। इसके बाद, एक अन्य वकील ने आकर बीएचयू की ओर से बहस करने की बात कही।

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