गाजीपुर
इबादत, रोजा और रहमत का पाक महीना है रमजान
गाजीपुर। बहरियाबाद और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में रमजान की तैयारियां जोरों पर हैं। मस्जिदों की सजावट और रंग-रोगन का कार्य पूरा हो चुका है। इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। यही वह पाक महीना है जिसमें अल्लाह ने पैगंबर मुहम्मद पर कुरान नाजिल किया, इसलिए इसे कुरान के अवतरण का महीना भी कहा जाता है। इस बार रमजान की शुरुआत 2 मार्च से हो रही है।
रमजान के महीने में हर मोमिन के लिए रोजा रखना फर्ज होता है। सुबह से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ खाए-पिए रोजा रखा जाता है और सूरज ढलने के बाद इफ्तार किया जाता है। यह महीना आत्मसंयम, इबादत और परहेजगारी का होता है। मुसलमान इस महीने में अधिक से अधिक नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
रमजान का महत्व केवल इबादत तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह समाज में भाईचारे, दया और सहानुभूति की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की जाती है, जिसे इस्लाम में फितरा कहा जाता है। तरावीह की नमाज विशेष रूप से इस महीने में पढ़ी जाती है, जिससे आत्मा को शांति और सुकून मिलता है।
रमजान का महीना रहमत, मगफिरत और जहन्नम से निजात पाने का अवसर होता है। इस दौरान मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह की इबादत में अपना समय लगाते हैं। सामूहिक इफ्तार और तरावीह की नमाज समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देती है। रमजान का उद्देश्य केवल भूखे-प्यासे रहना नहीं, बल्कि खुदा के प्रति भक्ति, आत्मसंयम और इंसानियत की सेवा को मजबूत करना है।