हेल्थ
अब घर के पास ही मिलेगी टीबी की जांच के लिए एक्स रे सुविधा – सीएमओ संदीप चौधरी
विशेष शिविर लगाकर दो हफ्ते से अधिक खांसी व बुखार के रोगियों की होगी जांच
वाराणसी। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत जनपद में टीबी की जांच के लिए घर के पास ही एक्स-रे की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए सेंट्रल टीबी डिवीज़न के द्वारा विलियम जे क्लिंटन फ़ाउंडेशन (डबल्यूजेसीएफ़) के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग वाराणसी को एक अल्ट्रापोर्टेबल हैण्ड हेल्ड एक्स-रे मशीन प्राप्त हुई है। यह नई एक्स-रे मशीन ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों की टीबी की जांच के लिए स्क्रीनिंग का कार्य करेगी।
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक (क्षय)/राज्य क्षय नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी की ओर से पत्र प्राप्त हुआ है। सीएमओ ने बताया कि टीबी सक्रिय रोगी खोज अभियान (एसीएफ़) और टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) को सुदृढ़ीकरण करने के लिए सरकार की ओर से यह पहल की गई है। यह सुविधा उन वार्ड, ब्लॉक व गांव में विशेष रूप से प्रदान की जाएगी, जहां अभियान के दौरान सर्वाधिक टीबी रोगी मिले हैं अथवा मिलते हैं। इन स्थानों पर विशेष शिविर लगाकर टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों की जांच के लिए मौके पर ही एक्स-रे किया जाएगा। टीबी की पुष्टि होने पर संबन्धित सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर उनका उपचार शुरू किया जाएगा। एक्स रे द्वारा किए जा रहे जांच कार्य का मूल्यांकन सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च इनोवेशन (सीएचआरआई) की ओर से किया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। जल्द ही जनपद में सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा। अभियान के दौरान जिस भी ब्लॉक व गांव में सर्वाधिक टीबी के मरीज मिलेंगे, या फिर पूर्व में चलाए गये अभियानों के दौरान अधिक संख्या में टीबी मरीज मिले हैं, वहाँ शिविर लगाकर लक्षण वाले अन्य व्यक्तियों का मौके पर पोर्टेबल हैंड हेड एक्स-रे मशीन से एक्स-रे किया जायेगा। टीबी की पुष्टि होने पर उनका तत्काल प्रभाव से उपचार शुरू किया जायेगा।
डीटीओ ने बताया कि सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च इनोवेशन जीत 2.0 प्रोग्राम जिले में पिछले दो वर्षों से टीबी की रोकथाम के लिए कार्य कर रहा है। इसमें जिस भी घर के सदस्य को पल्मोनरी टीबी (फेफड़े वाली टीबी) है। उस घर में पांच वर्ष से ऊपर वाले सदस्यों का एक्स-रे कराया जा रहा है। पुष्टि वाले मरीजों को छोड़कर घर के अन्य सभी छोटे-बड़े सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी दी जाती है, जिनका फालोअप भी किया जा रहा है।
डीटीओ डॉ पीयूष राय ने बताया कि जनपद में जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक 17,884 तथा इस वर्ष जनवरी में अब तक टीबी के 1207 मरीज मिले हैं, जिसमें से 7465 मरीजों का उपचार चल रहा है। शेष मरीजों का उपचार पूरा हो चुका है। टीबी के लक्षण हों तो जरूर कराएं जांच – डॉ पीयूष ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में खून आना, वजन कम होना, भूख न लगना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना आदि टीबी के लक्षण हैं । इस तरह के लक्षण नजर आयें तो जाँच जरूर कराएँ।