गोरखपुर
अधिवक्ताओं के सम्मान व सुरक्षा के लिए बलवंत शाही की 11 सूत्रीय मांगें चर्चा में

गोरखपुर में हाईकोर्ट खंडपीठ की स्थापना की उठी जोरदार मांग
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल सदस्य पद के प्रत्याशी बलवंत शाही एडवोकेट (पूर्व मंत्री, सिविल कोर्ट गोरखपुर एवं संयोजक, अधिवक्ता क्रांति परिषद, उत्तर प्रदेश) ने रविवार को एक प्रेसवार्ता में अधिवक्ता समाज की समस्याओं पर गंभीर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता वर्ग न्याय व्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन आज भी उनके अधिकार, सुरक्षा और सामाजिक सम्मान को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। शाही ने राज्य और केंद्र सरकार से अधिवक्ता हित में 11 सूत्रीय मांगों को तत्काल लागू करने की अपील की।
बलवंत शाही की 11 प्रमुख मांगें
1. गोरखपुर में हाईकोर्ट खंडपीठ की स्थापना
पूर्वांचल की सबसे बड़ी अदालत गोरखपुर में हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित की जाए। जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यालय से 300 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले जिलों में खंडपीठ आवश्यक है।
2. वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए भविष्य निधि (Provident Fund)
62 वर्ष की आयु या 30 वर्ष की प्रैक्टिस पूरी करने वाले अधिवक्ताओं को पंजीकरण वापसी या मृत्यु के उपरांत सरकार की ओर से 1 करोड़ की भविष्य निधि प्रदान की जाए।
3. पेंशन योजना
30 वर्ष की प्रैक्टिस या 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले अधिवक्ताओं को 50,000 मासिक पेंशन दी जाए। अधिवक्ता की मृत्यु के बाद यह पेंशन विधवा या वारिस को मिले।
4. नए अधिवक्ताओं को मानदेय
पाँच वर्ष तक प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को 5,000 मासिक मानदेय दिया जाए, ताकि उन्हें प्रारंभिक वर्षों में आर्थिक सहयोग मिल सके।
5. 10 वर्ष की प्रैक्टिस पर स्टाइपेंड
10 वर्ष पूरे करने वाले अधिवक्ताओं को 10,000 मासिक स्टाइपेंड प्रदान किया जाए।

6. स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा योजना
अधिवक्ताओं को आयुष्मान भारत योजना से जोड़कर 50 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा कवच दिया जाए।
7. अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू किया जाए
अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन लॉ तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
8. अदालत की अवमानना से छूट (Contempt of Court)
न्यायिक कार्य के दौरान अधिवक्ताओं को Contempt of Court की कार्यवाही से छूट दी जाए, ताकि वे निर्भीकता से अपनी भूमिका निभा सकें।
9. अधिवक्ता आवासीय कॉलोनी निर्माण
हर जिला व तहसील मुख्यालय पर अधिवक्ताओं के लिए एडवोकेट कॉलोनी का निर्माण कराया जाए।
10. न्यायिक अधिकारियों का वेतनमान सर्वोच्च स्तर पर
ताकि न्यायिक प्रक्रिया की गुणवत्ता और निष्पक्षता बरकरार रह सके।
11. शासकीय अधिवक्ताओं का वेतनमान निर्धारण
वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर शासकीय अधिवक्ताओं का वेतनमान तय किया जाए।
अधिवक्ताओं के हित में पूर्व की ऐतिहासिक पहल
बलवंत शाही ने बताया कि वर्ष 1995-96 में जब वे सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन, गोरखपुर के महामंत्री थे तब उनके प्रयासों से वकालतनामा बिक्री व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था से अधिवक्ता कल्याण निधि को मज़बूत आधार मिला और अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक सुधार की दिशा तय हुई।
बलवंत शाही का संकल्प
“अधिवक्ताओं का सम्मान और सुरक्षा मेरे जीवन का संकल्प है। जब तक बार का हर अधिवक्ता आत्मसम्मान के साथ न जी सके, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।”