मऊ
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत-वियतनाम सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों को दी ताकत

मधुबन (मऊ)। स्थानीय तहसील क्षेत्र के डुमरी मर्यादपुर स्थित पीजी कॉलेज में शुक्रवार को “ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम्स एंड उनकी प्रासंगिकता आज” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय परंपरागत ज्ञान की समृद्ध विरासत और उसकी वैज्ञानिकता को उजागर करना था।कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने परंपरागत ज्ञान की आज की दुनिया में प्रासंगिकता पर जोर दिया।
सुश्री हो बाओ चाउ ने योग और प्राकृतिक चिकित्सा को वैश्विक समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि योग मन और मस्तिष्क को नई ऊर्जा प्रदान करता है। भारत-वियतनाम संबंधों पर डॉ. ले तन थान ने सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांत को उजागर करती है। डॉ. हो थी थान मिन्ह ने कहा कि भारत का परंपरागत ज्ञान सिर्फ ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं बल्कि आज भी मानवता के लिए शांति, स्वास्थ्य और संतुलन का मार्ग दिखाने वाली जीवंत परंपरा है।
कार्यक्रम का संचालन निकिता पाठक ने किया। कॉलेज के प्रबंधक राष्ट्रकुंवर सिंह और प्रबंध निदेशक प्रवीण कुंवर सिंह ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि परंपरागत ज्ञान प्रणाली भारतीयता की संवेदना को अभिव्यक्त करने में अहम भूमिका निभाती है। कार्यक्रम में कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर डॉ. अजीत कुमार और निकिता पाठक का सम्मान किया गया।
इसके अलावा, छात्र-छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भागीदारी के प्रमाण पत्र अतिथियों द्वारा वितरित किए गए।इस अवसर पर रुखसाना खातून, यादवेन्द्र कुमार, राहुल उपाध्याय, तबस्सुम अली, डॉ. अजीत कुमार, विनीता मिश्रा, दीपाली चौरसिया, डॉ. जहीर हसन, अफजाल अहमद, अश्वनी कुमार, इरफान खान, एहतेशाम हुसैन, किरन शर्मा सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।