वाराणसी
‘Saiyaara’ की अभिनेत्री की मानसिक बीमारी बनी बहस का विषय, वाराणसी में असल ज़िंदगी से मेल खाते मामले बढ़े

वाराणसी। हालिया चर्चित फिल्म Saiyaara ने जहां दर्शकों की भावनाओं को झकझोरा, वहीं इसकी प्रमुख अभिनेत्री की मानसिक स्थिति को लेकर भी लोगों में जबरदस्त जिज्ञासा पैदा हुई है। फिल्म में प्रेम में धोखा खाने के बाद उपजी मानसिक बीमारी को लेकर वाराणसी के मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक संस्थानों ने गंभीर सामाजिक संकेतों की ओर इशारा किया है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल परिसर स्थित सखी वन स्टॉप सेंटर की रिपोर्ट बताती है कि बीते तीन महीनों में वैवाहिक जीवन में पुराने प्रेम संबंधों के हस्तक्षेप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। कई बार स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि पति की जान बचाने के लिए मां या बहन सेंटर तक गुहार लगाने पहुंचती हैं। सैयारा फिल्म जैसी घटनाएं अब काल्पनिक नहीं रहीं। वे वाराणसी समेत इंदौर, मेरठ, रायपुर, लुधियाना और मुंबई जैसे शहरों में असल जीवन की खौफनाक हकीकत बन चुकी हैं।
सेंटर की प्रभारी रश्मि दुबे बताती हैं कि विवाह पूर्व के रिश्ते अब विवाहोत्तर जीवन में जहर घोलने लगे हैं। इस कारण दांपत्य में शक, अविश्वास और भय घर कर रहा है। प्रेम अब स्मृति नहीं, रिश्तों पर साया बन गया है। हाल के केस स्टडी बताते हैं कि पति-पत्नी के बीच उपजे तनाव की जड़ अतीत में छिपी होती है, जो वर्तमान में भयंकर रूप ले सकती है।
सेंटर में कार्यरत काउंसलर खुशबू सिंह, प्रियंका तिवारी और पूजा सिंह लगातार इस तरह के मामलों की काउंसलिंग में जुटी हैं। उनका कहना है कि पहले जहां इन मुद्दों को संवाद से सुलझाया जा सकता था, अब मामलों की गहराई और हिंसात्मक प्रवृत्ति समाधान को जटिल बना रही है। कई मामलों में तो पति की हत्या की आशंका तक जताई जा रही है। जुलाई 2025 तक आए कुल मामलों में बड़ी संख्या में ऐसे केस सामने आए हैं, जहां पूर्व प्रेमियों द्वारा विवाहिता के जीवन में हस्तक्षेप की बात स्वीकार की गई।
सखी वन स्टॉप सेंटर अब सिर्फ कानूनी व मानसिक परामर्श देने वाला संस्थान नहीं, बल्कि वह स्थान बन चुका है जो टूटते रिश्तों में एक नई उम्मीद का दीप जलाता है। सेंटर न केवल संकट में फंसी महिलाओं को आश्रय और सुरक्षा देता है, बल्कि उनके साथ खड़े होने वाले परिजनों को भी हौसला देता है।
सैयारा फिल्म की कथा केवल स्क्रिप्ट नहीं, समाज की उस सच्चाई का दर्पण है जहां रिश्तों की नींव अब केवल प्रेम या परंपरा नहीं, बल्कि पारदर्शिता, मानसिक संतुलन और सामाजिक चेतना पर टिकती है। वर्तमान दौर में विवाह से पहले सिर्फ कुंडली नहीं, बल्कि अतीत की छाया और मानसिक स्थिति भी परखनी होगी। जब अतीत पीछा करने लगे, तो वर्तमान को बचाना मुश्किल हो जाता है।