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ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के देवरिया जन्मभूमि तो गोरखपुर रही कर्मभूमि, वीरता के लिए मिला था शौर्य चक्र

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देवरिया/गोरखपुर: हेलिकॉप्टर हादसे में जीवित बचे वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन की खबर मिलते ही उनकी जन्मभूमि देवरिया जिले के कन्हौली गांव में कोहराम मच गया। हर किसी की जुबान पर एक ही बात है कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की सलामती के लिए पूरा देश दुआ कर रहा था, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। तमिलनाडु के कुन्नूर में 8 दिसंबर को हुए हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य सैन्यकर्मियों की मृत्यु हो गई थी। वहीं वरुण सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दर्दनाक हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही एक मात्र जीवित बचे सैन्य अधिकारी थे। बेंगलुरु के कमांड अस्पताल में उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। अब हादसे के एक सप्ताह के अंदर ही ग्रुप कैप्टन वरुण सिहं ने भी दम तोड़ दिया। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का पूर्वांचल से गहरा नाता था। देवरिया उनकी जन्मभूमि तो गोरखपुर कर्मभूमि रही है।

वह गोरखपुर में बतौर फाइटर पायलट जगुआर के स्क्वाड्रन में तैनात रहे। चार माह पहले वरुण सिंह राष्ट्रपति के हाथों शौर्य चक्र से सम्मानित हुए थे। हादसे की खबर मिलने के बाद से ही सभी, अपने जांबाज लाल के शीघ्र स्वस्थ और दीर्घायु होने की प्रार्थना कर रहे थे। वरुण सिंह देवरिया के कन्हौली गांव के रहने वाले थे। वह मूलरूप से फाइटर पायलट थे। साल 2007 से 2009 तक उनकी गोरखपुर में पोस्टिंग रही है। वह जगुआर फाइटर प्लेन उड़ाते रहे। गोरखपुर से उनका हैदराबाद तबादला हुआ था। इन दिनों तमिलनाडु के वेलिंगटन में तैनाती थी। वेलिंगटन स्थित डिफेंस एकेडमी के कार्यक्रम में सीडीएस रावत को हिस्सा लेना था, कैप्टन उनके साथ जा रहे थे, लेकिन पहले ही हादसा हो गया।

पूर्व विधायक के भतीजे थे वरुण
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह के भतीजे थे। 12 अक्तूबर 2020 को फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम खराब होने के बावजूद, वरुण ने करीब दस हजार फीट की ऊंचाई से विमान की सफल लैंडिंग कराई थी। इसके लिए 15 अगस्त को राष्ट्रपति ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। वरुण के चाचा अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि सेना के अधिकारियों द्वारा हादसे में वरुण के घायल होने की सूचना मिलने के बाद से ही ईश्वर से उनके ठीक होने की कामना की जा रही थी।

हादसे के बाद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के माता-पिता उन्हें देखने अस्पताल पहुंचें थे, लेकिन वे घायल बेटे को पास से देख नहीं पाए थे। वरुण गंभीर हाल में आईसीयू में थे। इस वजह से माता-पिता को बाहर से ही बेटे को देखना पड़ा था। इस दौरान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के पिता रिटायर्ड कर्नल केपी सिंह ने कहा था कि मेरा बेटा एक योद्धा है और इस लड़ाई में भी जीत हासिल कर लौटेगा।

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