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FASTag स्कैम ने बढ़ाई चिंता, फर्जी मैसेज और कॉल से सावधान

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वाराणसी। हाईवे पर कैशलेस टोल कलेक्शन की सुविधा देने वाला FASTag अब वाहन चालकों के सफर का अहम हिस्सा बन चुका है। गाड़ी रोके बिना टोल देने की यह सुविधा जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही खतरनाक भी साबित हो रही है। साइबर ठगों ने अब इसे नया हथियार बना लिया है। फिशिंग लिंक, फर्जी कस्टमर केयर और RFID क्लोनिंग जैसे तरीकों से लोग बिना जाने-पहचाने जाल में फंस रहे हैं, जिससे कई वाहन मालिक बिना गलती किए अपना पैसा गंवा रहे हैं।

फास्टैग स्कैम क्या है?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट राहुल मिश्रा के अनुसार, फास्टैग स्कैम में ठग आपके फास्टैग से जुड़ी जानकारी या पैसे हड़प लेते हैं। इसके लिए वे फर्जी कॉल, SMS, वेबसाइट या QR कोड का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप इनके झांसे में आकर अपनी डिटेल शेयर कर दें तो ठग आपका बैलेंस खाली कर सकते हैं या गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

सबसे आम फ्रॉड के तरीके:

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1. फिशिंग SMS या ईमेल: यूजर को SMS आता है कि आपका फास्टैग ब्लॉक या एक्सपायर हो गया है। मैसेज में लिंक होता है, जिस पर क्लिक करने से फर्जी वेबसाइट खुलती है, और पर्सनल या बैंकिंग जानकारी चोरी हो सकती है।

2. फेक कस्टमर सपोर्ट: गूगल या फेसबुक पर नकली हेल्पलाइन नंबर मिलते हैं। कॉल करने पर QR कोड स्कैन करवा कर पैसा ठग लिया जाता है।

3. फर्जी फास्टैग बिक्री: वॉट्सएप पर कम रेट में फास्टैग देने का वादा किया जाता है, लेकिन खरीदने पर यह काम नहीं करता या पहले से एक्टिवेटेड होता है।


फास्टैग स्कैम की पहचान कैसे करें?

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स्कैमर्स जल्दबाजी में निर्णय लेने के लिए दबाव डालते हैं, जैसे ‘आपका फास्टैग एक्सपायर हो गया है’ या ‘आज ही अपडेट करें वरना ब्लॉक हो जाएगा’।

SMS, कॉल या लिंक से UPI पिन, QR कोड स्कैन या फेक वेबसाइट पर जाने को कहें तो यह स्कैम हो सकता है।

फास्टैग स्कैम से बचने की 6 सावधानियां:

1. अपनी फास्टैग डिटेल किसी से साझा न करें।

2. SMS अलर्ट हमेशा ऑन रखें।

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3. फास्टैग केवल सरकारी बैंक या ऑथराइज्ड एप से खरीदें।

4. कोई भी लिंक क्लिक करने से पहले सतर्क रहें।

5. फर्जी कॉल या QR कोड से दूर रहें।

6. जल्दबाजी में निर्णय न लें।

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फास्टैग जानकारी लीक होने पर खतरा:
यदि किसी के पास आपकी फास्टैग ID, गाड़ी नंबर, मोबाइल नंबर और RC नंबर हो तो इसका दुरुपयोग संभव है। इससे फर्जी रिचार्ज, क्लोनिंग या डुप्लीकेट फास्टैग एक्टिवेशन जैसी घटनाएं हो सकती हैं।

स्कैम का शिकार होने पर क्या करें:

तुरंत बैंक या पेमेंट ऐप को कॉल कर ट्रांजैक्शन ब्लॉक करवाएं और पासवर्ड/UPI पिन बदलें।

साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।

फर्जी SMS, कॉल या वेबसाइट की डिटेल sancharsaathi.gov.in पर रिपोर्ट करें।

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सुरक्षित फास्टैग का चुनाव:
हर बैंक और कंपनी की सुरक्षा अलग होती है। सरकारी बैंक और ऑथराइज्ड एप से लिया गया फास्टैग अधिक सुरक्षित माना जाता है। किसी अनजान वेबसाइट या एप से फास्टैग न खरीदें।

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