वाराणसी
BHU: हत्या के आरोपियों समेत कई छात्रों पर लगा डिबार का ठप्पा

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया से पहले उन छात्रों की सूची जारी कर दी है जिन्हें पिछले आठ वर्षों में डिबार, निलंबित या निष्कासित किया गया। कुल 35 मामलों में 114 छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है। ये घटनाएं 2016 से 2024 के बीच घटीं जिनमें मारपीट, तोड़फोड़, शिक्षकों से बदसलूकी, हत्या का आरोप, परीक्षा में नकल, शारीरिक शोषण और अन्य अपराध शामिल हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि सबसे बड़ा मामला 17 फरवरी 2024 का था जब कुलपति आवास में तोड़फोड़ के मामले में 15 छात्रों पर कार्रवाई की गई। वहीं 2019 में 10 छात्रों को निलंबन और निष्कासन का सामना करना पड़ा। कार्रवाई में स्नातक, स्नातकोत्तर, पूर्व शोध छात्र और छात्राओं के नाम भी शामिल हैं।
गौरव सिंह की हत्या के मामले में चार छात्रों – विनय कुमार द्विवेदी, कुमार मंगलम सिंह, रूपेश तिवारी और आशुतोष त्रिपाठी को प्रवेश से वंचित किया गया। विनय द्विवेदी को शनिवार को हत्या के दो मामलों में STF ने गिरफ्तार भी किया। वहीं आशुतोष त्रिपाठी को ब्लैकलिस्ट किया गया और रूपेश तिवारी को निलंबित किया गया। कुमार मंगलम और विनय द्विवेदी को दो-दो बार निलंबित किया गया था।
सूची में एक ऐसा मामला भी है जिसमें पूर्व रिसर्च स्कॉलर पर शोध छात्रा के साथ अश्लीलता और शोषण के आरोप में दाखिले पर रोक लगी। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में हंगामा करने के आरोप में दो छात्रों को निलंबित किया गया। कोविड काल में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाले छात्र पर भी कार्रवाई हुई। प्रोफेसर डीसीआर जायसवाल से मारपीट, एंबुलेंस ड्राइवर के अपहरण, धरना-प्रदर्शन, अश्लील कृत्य और प्रॉक्टोरियल बोर्ड की कार्रवाई में भी कई छात्र दोषी पाए गए।
कुछ छात्रों ने कोर्ट से अपने खिलाफ लगे आरोप हटवा कर विश्वविद्यालय में पुनः पढ़ाई शुरू कर दी। BHU की इस सूची से साफ है कि अनुशासनहीनता और अपराध में लिप्त छात्रों पर विश्वविद्यालय सख्त रवैया अपनाए हुए है।