मिर्ज़ापुर
“जाति नहीं, कर्म से महान बनता है इंसान” : सच्चिदानंद
मिर्जापुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में दुर्गा बाजार स्थित संघ कार्यालय केशव धाम में बुधवार को संत शिरोमणि रविदास जयंती का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता विन्ध्याचल विभाग के विभाग कार्यवाह सच्चिदानंद और नगर संघचालक अशोक सोनी ने संत रविदास के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
संघ कार्यवाह सच्चिदानंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की महानता उसकी समृद्ध परंपराओं और संत-मनीषियों के योगदान से है। संत रविदास का प्राकट्य ऐसे समय में हुआ जब समाज छुआछूत और विषमता से जूझ रहा था। उन्होंने सामाजिक समरसता और कर्म की प्रधानता का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर कोई भी महान नहीं बनता, बल्कि कर्म ही व्यक्ति को ऊँचाइयों तक ले जाता है। संत रविदास का जीवन इस बात का उदाहरण है कि सच्ची महानता जन्म से नहीं, बल्कि श्रेष्ठ कार्यों से प्राप्त होती है। संत रविदास का जन्म 1398 में काशी में हुआ और उनके गुरु संत रामानंद थे। शुद्ध शाकाहारी जीवन जीने वाले संत रविदास ने कर्म को ही पूजा माना और समाज की कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया।
सच्चिदानंद ने एक रोचक प्रसंग साझा करते हुए बताया कि संत रविदास के भक्तिभाव और कर्मनिष्ठा से प्रभावित होकर काशी नरेश और दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोदी तक उनके शिष्य बन गए। जब सिकंदर लोदी ने उन्हें इस्लाम अपनाने का दबाव डाला, तो संत रविदास ने दृढ़ता से इनकार कर दिया। उनकी आध्यात्मिक शक्ति इतनी प्रभावी थी कि एक फकीर, जिसे उनका धर्म परिवर्तन कराने भेजा गया था, खुद हिंदू धर्म अपना बैठा। अंततः सिकंदर लोदी ने भी उन्हें अपना गुरु मान लिया।
सच्चिदानंद ने वर्तमान सामाजिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदू समाज को तोड़ने के कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे तत्वों का मुकाबला करने के लिए हर हिंदू को संत रविदास की भूमिका अपनानी होगी। माताओं को दुर्गा, लक्ष्मी और काली का रूप लेकर समाज विरोधी ताकतों को रोकना होगा।
इस अवसर पर नगर पालिका मिर्जापुर के पूर्व अध्यक्ष मनोज जायसवाल, विभाग धर्म जागरण प्रमुख वीरेंद्र मौर्य, जिला बौद्धिक प्रमुख गुंजन चौधरी, जिला धर्म जागरण प्रमुख इन्द्रजीत शुक्ल, सह जिला व्यवस्था प्रमुख श्याम जी, सह नगर कार्यवाह रितेश, शारीरिक प्रमुख अखिलेश, एडवोकेट विनोद कुमार, प्रचार प्रमुख विमलेश अग्रहरि सहित संघ के अनेक स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
संत रविदास का संदेश आज भी प्रासंगिक
संत रविदास का जीवन और उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। उन्होंने जाति-पाति से ऊपर उठकर मानवीय मूल्यों और कर्म को प्रधानता दी। उनके विचारों को आत्मसात करके ही समाज में समानता और सौहार्द स्थापित किया जा सकता है।