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अयोध्या : राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को ब्रेन हेमरेज, पीजीआई में भर्ती

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अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ है और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

रविवार देर रात जब उनकी तबीयत खराब हुई, तो पहले उन्हें अयोध्या के सिटी न्यूरो केयर हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां के डॉक्टरों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए लखनऊ रेफर कर दिया। इसके बाद एंबुलेंस से उन्हें SGPGI लाया गया, जहां न्यूरोलॉजी विभाग की इमरजेंसी यूनिट में उनकी निगरानी की जा रही है। फिलहाल डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनकी सेहत पर लगातार नजर रख रही है, लेकिन ऑपरेशन को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

भक्तों ने की प्रार्थना, मंदिर में जारी रहेगा पूजा-पाठ

जैसे ही यह खबर फैली, राम जन्मभूमि मंदिर के पुजारियों और भक्तों ने आचार्य सत्येंद्र दास के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना शुरू कर दी। मंदिर में विशेष हवन किया जा रहा है। हालांकि, राम जन्मभूमि मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पहले की तरह ही चलते रहेंगे। सहायक पुजारियों की देखरेख में मंदिर की सभी गतिविधियां सुचारू रूप से जारी रहेंगी।

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आचार्य सत्येंद्र दास का जीवन और राम जन्मभूमि से जुड़ाव

आचार्य सत्येंद्र दास संत कबीरनगर के रहने वाले हैं और 8 फरवरी 1958 को अयोध्या आ गए थे। उनका झुकाव बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर था। 1975 में उन्होंने संस्कृत विद्यालय से आचार्य की उपाधि प्राप्त की और 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक अध्यापक बने। इसी दौरान वे राम जन्मभूमि मंदिर से भी जुड़े रहे।

1992 में जब राम जन्मभूमि मंदिर के तत्कालीन पुजारी लालदास को हटाने का निर्णय लिया गया, तो भाजपा सांसद विनय कटियार, विहिप नेता और संत समाज की सहमति से सत्येंद्र दास को मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया। 1 मार्च 1992 को वे इस पद पर आसीन हुए और तब से ही रामलला की सेवा कर रहे हैं।

बाबरी विध्वंस के दौरान निभाई थी अहम भूमिका

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6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ, तब सत्येंद्र दास मंदिर परिसर में मौजूद थे। जैसे ही कारसेवकों ने ढांचे को गिराना शुरू किया, उन्होंने रामलला को किसी भी नुकसान से बचाने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस दौरान वे लगातार रामलला की सुरक्षा में लगे रहे।

रामलला की सेवा में जीवन समर्पित

सत्येंद्र दास ने अपने जीवन को पूरी तरह से रामलला की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। वे वर्षों तक एक सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ाते रहे और मंदिर से उन्हें बतौर पुजारी केवल 100 रुपए पारिश्रमिक मिलता था। 30 जून 2007 को स्कूल से रिटायर होने के बाद उनकी तनख्वाह 13,000 रुपए हुई।

आचार्य सत्येंद्र दास के स्वास्थ्य को लेकर अयोध्या और देशभर के भक्तों में चिंता का माहौल है। मंदिर के सहायक पुजारी और भक्त लगातार उनके जल्द ठीक होने की प्रार्थना कर रहे हैं। SGPGI में डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुटी हुई है। भक्तों को उम्मीद है कि वे जल्द स्वस्थ होकर फिर से रामलला की सेवा में लौटेंगे।

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