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वाराणसी

“शिव शंकर की स्तुति से मिटते हैं पाप” : पं. प्रदीप मिश्रा

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शिव महापुराण कथा में पं. प्रदीप मिश्रा ने शिव स्तुति के महत्व को किया रेखांकित

डुमरी (वाराणसी)। सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के चौथे दिन पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) ने कथा के माध्यम से भगवान शिव की स्तुति का महत्व बताया। श्री सतुआ बाबा गौशाला में आयोजित इस आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। महामंडलेश्वर श्री संतोष दास जी सातवा बाबा के सानिध्य में चल रही इस कथा में पं. मिश्रा ने शिव भक्ति और निंदा सहने की महत्ता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि “निंदा केवल उसी की होती है जो आगे बढ़ता है। जैसे रेल का इंजन शोर और धुआं के कारण आलोचना का पात्र बनता है, लेकिन वही इंजन सभी को गंतव्य तक पहुंचाता है। हमें आलोचनाओं की परवाह किए बिना अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

गणगौर पर्व और सोलह शृंगार की महिमा
कथा में पं. मिश्रा ने सोलह शृंगार का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान शिव और माता पार्वती शिव महापुराण सुनने जजमान बने थे, तब माता पार्वती को तैयार होने में 16 दिन लगे। इसी परंपरा से गणगौर पर्व की शुरुआत हुई, जो आज भी राजस्थान सहित पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि “शिव महापुराण की कथा में जजमान का स्थान स्वयं भगवान शिव ने ग्रहण किया। यही कारण है कि यह कथा अद्वितीय और शुभकारी है।”

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चंचला की कथा से भक्ति का संदेश
पं. मिश्रा ने चंचला और बिंदु की कहानी सुनाते हुए बताया कि चंचला, जो नास्तिक थी, उसने अपने पति की अकाल मृत्यु के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए शिव भक्ति का मार्ग चुना। भगवान शिव ने चंचला को काशी की यात्रा के दौरान उसके पाप धोने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा, “काशी काशी का जाप मात्र से भी व्यक्ति को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है।”

क्रोध और घमंड से बचने की सीख
कथा में पं. मिश्रा ने कहा, “जैसे ठंडे हाथों से काम नहीं होता और गर्माहट के बाद ही हाथ सही कार्य करते हैं, वैसे ही घमंड से भरा मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है। भक्ति में मन लगाकर मस्तिष्क को सक्रिय करना आवश्यक है।”

लाखों श्रद्धालु हुए कथा में शामिल
कथा के समापन पर शिव, पार्वती और गणेश जी की झांकी के दर्शन कराए गए। कथा के आयोजन में संतोष दास जी के साथ संजय केसरी, संदीप केसरी, नीरज केसरी, मनोज गुप्ता सहित आयोजन समिति के अन्य सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कथा में लाखों श्रद्धालु शामिल हुए और आरती के साथ कथा का समापन हुआ।

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