Connect with us

वाराणसी

कृषि विज्ञान केंद्र में अमृत इंटर्नशिप कार्यक्रम के अंतर्गत युवा सीखेंगे आधुनिक कृषि तकनीक

Published

on

इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को प्रतिमाह 6000 रुपये का भत्ता भी दिया जाएगा

मिर्जामुराद (वाराणसी)। “अब खेती पुराने तरीकों पर नहीं, बल्कि नवीनतम वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हो गई है। छात्रों को कृषि संबंधी जानकारी को अपनी दक्षता में परिवर्तित करना चाहिए और किसी विशेष विषय में रुचि विकसित करनी चाहिए। युवाओं को कृषि क्षेत्र में नवीनतम और तकनीकी जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है।”

यह बातें कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर गांव में सोमवार को आयोजित अमृत इंटर्नशिप कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ. मंगला राय ने कहीं। यह कार्यक्रम आई.पी.एल. फाउंडेशन और आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।

Advertisement

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश के 20 जिलों से आए 72 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया और सभी को नि:शुल्क अमृत किट वितरित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कृषि क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, “हर जिले में कृषि विज्ञान केंद्र मौजूद हैं। जहां कृषि वैज्ञानिक नवीनतम जानकारी प्रदान कर रहे हैं, जिसका किसान भाइयों को लाभ उठाना चाहिए।”

अपर निदेशक प्रसार डॉ. राम रतन सिंह ने केंद्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और प्रबंध समिति के सदस्य शैलेन्द्र रघुवंशी ने औद्यानिक फसलों के माध्यम से कृषि आय बढ़ाने की बात कही। आई.पी.एल. के सेल्स ऑफिसर लोकेंद्र प्रताप सिंह ने कंपनी के कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, विशिष्ट अतिथि पूर्व आईएएस अधिकारी और आईपीएल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राजीव रंजन ने खाद्यान्न उत्पादन और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता बताई।

जी.आई. एक्सपर्ट और पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने भौगोलिक पहचान (जी.आई.) के महत्व पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने बताया कि, कैसे बनारसी पान, लंगड़ा आम, और बनारसी मिर्च को जी.आई. टैग मिलने से स्थानीय किसानों को लाभ हुआ है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. मंगला राय ने छात्रों को कृषि जानकारी को अपनी दक्षता में बदलने की आवश्यकता बताई। उन्होंने जल संरक्षण पर जोर देते हुए बताया कि, “धान की फसल के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है, जो भूजल स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।”

तकनीकी सत्र में आई.पी.एल. फाउंडेशन के मेंटर ऋषिपाल सिंह ने सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. नवीन सिंह ने केंद्र की विभिन्न गतिविधियों पर छात्रों से जानकारी साझा की। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. राहुल कुमार सिंह ने बताया कि, “तीन महीने की इस इंटर्नशिप में छात्रों को ऑनलाइन और व्यावहारिक कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें किसानों के बीच जाकर अध्ययन करना होगा। इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को प्रतिमाह 6000 रुपये का भत्ता भी दिया जाएगा। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिकों और अन्य अधिकारियों के साथ 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

Advertisement

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page