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रेल हादसे के पीछे गहरी साजिश की आशंका
रिपोर्ट – सुभाष चंद्र सिंह
घटना के पीछे आतंकियों के स्लीपर सेल का हाथ होने की संभावना
वाराणसी। पिछले कुछ दिनों में हुए रेल हादसे के पीछे गहरी साजिश नजर आ रही है। जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों और वहां की पुलिस के संयुक्त अभियान में घुसपैठ की कोशिशों को लगातार नाकाम किया जा रहा है और आतंकियों के गढ़ को तबाह किया जा रहा है। इससे बौखला कर आतंकी देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय अपने स्लीपर सेल की मदद से रेल दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जगह-जगह रेलवे लाइन पर पत्थर तो कहीं गैस सिलेंडर और पेट्रोल से भरी बोतल रखकर ट्रेन हादसों को अंजाम देने की कोशिश हो रही है जो एक गंभीर मसला है।

इस पर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए और रेल लाइन की सुरक्षा के लिए गश्ती दल तैनात कर उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए की वह ट्रेनों के आने और जाने से पहले रेलवे लाइनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर ले। इसके अलावा रेलवे विभाग में ट्रैकमैनों की नियुक्ति करके भी रेल हादसों को रोका जा सकता है क्योंकि ट्रैकमैन पटरी पर पड़ी किसी भी संदिग्ध वस्तु को देख कर हटा सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो गत कुछ दिनों के अंदर विभिन्न स्थानों पर रेलवे लाइन से ट्रेनों के उतरने और ट्रैक पर दो ट्रेनों के आने से हादसों के पीछे भी गहरी साजिश नजर आ रही है। खुफिया इकाइयों को भी इस पर सतर्कतापूर्वक ध्यान देने की जरूरत है।
अगस्त और सितंबर 2024 के महीने में हुए रेल हादसे –
मध्य प्रदेश के इटारसी स्टेशन पर 12 अगस्त को रानी कमलापति-सहरसा विशेष ट्रेन के दो डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस घटना में कोई यात्री हताहत नहीं हुआ था। तो वहीं कानपुर में 17 अगस्त को साबरमती एक्सप्रेस (वाराणसी से अहमदाबाद) ट्रेन के 22 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

इसके अलावा सितंबर के महीने में 9 सितंबर को कानपुर में अनवरगंज-कासगंज रेलवे रूट पर भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस पत्थर और सिलेंडर से टकरा गई। इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ। जबकि घटना के अगले दिन 10 सितंबर 2024 की रात महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के कुडुवाडी स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर मालगाड़ी को पलटाने की साजिश के तहत भारी भरकम पत्थर का ब्लॉक रखा गया। लेकिन लोको पायलट की सावधानी की वजह से बड़ा हादसा होने से टल गया।
2014 से लेकर 2024 तक देश भर में 650 से अधिक ट्रेन हादसे हो चुके हैं। जो बहुत ही चिंता का विषय है। सरकार को इस मसले पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।
रेलवे की सुरक्षा पर सरकार कर रही कितना खर्च ?

सवाल ये है कि रेलवे की सुरक्षा पर सरकार कितना खर्च कर रही है ? बता दें कि, मोदी सरकार में रेलवे के लिए 1,78,012 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसका मतलब हर साल औसतन 17,801 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जो 2014 से पहले की तुलना में ढाई गुना ज्यादा है। 2004 से 2014 के बीच रेलवे के लिए 70,273 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था। वहीं पटरियों के सुधार और मरम्मत पर वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2023 के बीच हर साल औसतन 10,201 करोड़ रुपये का खर्चा किया गया है। जबकि वित्त वर्ष 2005 से वित्त वर्ष 2014 के बीच हर साल औसतन 4,702 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
