Connect with us

धर्म-कर्म

काशी की आज भी रक्षा करते हैं ‘अष्ट भैरव’

Published

on

रिपोर्ट – श्रद्धा यादव

वाराणसी। कपाल भैरव, काल भैरव, अष्टांग भैरव, आस भैरव, संहार भैरव, भीषण भैरव, आनंद भैरव, भीषण भैरव, जो अष्ट भैरव के अंतर्गत आते है और काशी की रक्षा करते हैं।

श्री लिंग पुराण में 52 भैरव का जिक्र मिलता है। मुख्य रूप से 8 भैरव माने जाते हैं, भगवान काल भैरव के ब्रह्म कपाल से कपाल भैरव का जन्म हुआ था। कपाल भैरव को ही लाट भैरव कहा जाता है। समस्त संसार के कपाल और उनमें आने वाले विचारों के देवता है। श्री कपाल भैरव, कपाल के प्रतीक देवता है। इस कारण से तंत्र में इनकी आराधना मुख्य रूप से की जाती है।

काशी की सनातन पहचान मिटाने के लिए औरंगजेब ने 1669 में आदि विश्वेश्वर, बिंदु माधव और कीर्ति विश्वेश्वर जैसे प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया। ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक, वाराणसी में ऐसी कई मंदिर है जो मुगलिया क्रूरता के शिकार बने। उन्हीं मंदिरों में से एक है कपाल भैरव (लाट भैरव) औरंगजेब ने कपाल भैरव मंदिर को भी गिरा दिया और फिर उसी जगह पर अपने कर्मचारियों के लिए मस्जिद बनवा दी। जो आज भी मौजूद है। कपाल भैरव की मूर्ति खुले आंगन में है उसी परिसर में नमाज पढ़ी जाती है।

Advertisement

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page