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शिक्षा

धार्मिक पर्यटन पर बीएचयू करेगा शोध, यूरोपीय संघ से मिला अनुदान

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पर्यटन प्रबंधन विभाग को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में शोध कार्य के लिए यूरोपीयन यूनियन के इरास्मूस प्रोग्राम के तहत आठ करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अनुदान इरास्मस और कैपेसिटी बिल्डिंग इन हायर एजुकेशन योजना के अंतर्गत दिया गया है। प्राप्त धनराशि का उपयोग प्रदेश में पर्यटन विकास से जुड़े शोध कार्यों में किया जाएगा।

यह अनुदान कला संकाय को मिलने वाला पहला इरास्मस अनुदान है, वहीं बीएचयू द्वारा अब तक प्राप्त सबसे बड़ा इरास्मस फंड भी माना जा रहा है। परियोजना की अवधि नवंबर से अक्टूबर 2028 तक तीन वर्षों की होगी।

परियोजना के अंतर्गत धार्मिक पर्यटन के माध्यम से उच्च शिक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आठ देशों के 16 संस्थानों के विशेषज्ञ एक साझा मंच पर कार्य करेंगे। इसमें अल्बानिया, भारत, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, मोल्दोवा, माल्टा और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। भारत की ओर से बीएचयू के साथ कर्नाटक विश्वविद्यालय इस परियोजना में सहभागिता करेगा।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण और सतत क्षेत्रीय विकास के क्षेत्र में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करना है। इसके लिए यूरोपीय साझेदार देशों की श्रेष्ठ प्रथाओं और विशेषज्ञता से सीखने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

परियोजना के अंतर्गत धार्मिक पर्यटन से संबंधित समकालीन और समावेशी पाठ्यक्रम का विकास किया जाएगा। साथ ही यूरोपीय शिक्षण-अध्ययन मानकों एवं अनुसंधान पद्धतियों का एकीकरण किया जाएगा। यह पहल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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पर्यटन प्रबंधन विभाग के प्रमुख के अनुसार, इस अनुदान से न केवल विश्वविद्यालय को लाभ होगा, बल्कि पूरे प्रदेश में पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। परियोजना के माध्यम से छात्रों और शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे शिक्षा और शोध की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

परियोजना अवधि के दौरान विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनारों और शोध गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें विभिन्न देशों के विशेषज्ञ भाग लेंगे। यह मंच विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करेगा। इस प्रकार बीएचयू की यह पहल धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

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