गाजीपुर
समाज के नैतिक उत्थान में संतों की भूमिका अहम : महंत अरुण दास
खानपुर (गाजीपुर)। समाज को सही दिशा देने और समय-समय पर सुधार का मार्ग प्रशस्त करने में संतों की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है। गोमती नदी के तट पर स्थित गौरी गांव की पौराणिक महत्व वाली पर्णकुटी पर शनिवार को ब्रह्मलीन संत बाबा अमंगलहारी दास जी महाराज की तेरहवीं पुण्यतिथि श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाई गई।
इस अवसर पर बाबा अमंगलहारी दास जी की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार एवं पूजन कर श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महंत अरुण दास ने कहा कि समाज में संतों की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि वे धर्म और आध्यात्मिकता के माध्यम से लोगों को नैतिक मार्गदर्शन देते हैं। संतजन अंधविश्वास, अन्याय और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाकर समाज को सही और गलत का भेद समझाते हैं। उनके उपदेश प्रेम, सेवा, समानता और सहिष्णुता जैसे मूल्यों को मजबूत करते हैं, जिससे समाज का सर्वांगीण विकास संभव होता है।
उन्होंने आगे कहा कि संतों के विचार और आचरण लोगों को आंतरिक शांति प्रदान करते हैं और उन्हें गलत रास्तों से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं। वहीं, भानुदास जी महाराज ने कहा कि संतों की शिक्षाएं निस्वार्थ सेवा, परोपकार और सत्कर्म की भावना को जागृत करती हैं। वे समाज में सकारात्मक सोच और सहयोग की भावना विकसित करते हुए हमारी प्राचीन संस्कृति और मूल्यों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।
कार्यक्रम के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं ने हवन-पूजन एवं भंडारे में सहभागिता की। पूरे आयोजन में आध्यात्मिक वातावरण और श्रद्धा का भाव स्पष्ट रूप से देखने को मिला।
