वाराणसी
50 हजार की घूस मांगने के आरोप में VDA कर्मी बर्खास्त
वाराणसी। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। रामनगर जोन-5 अंतर्गत वार्ड क्षेत्र, दुर्गा मंदिर सुल्तानपुर इलाके में अवैध निर्माण का हवाला देकर भवन स्वामी से 50 हजार रुपये की घूस मांगने और रकम न देने पर निर्माण ध्वस्त कराने की धमकी देने के आरोप में VDA कर्मचारी विजय कुमार मिश्रा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। जांच में शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराई गई करीब 58 सेकेंड की कॉल रिकॉर्डिंग पूरी तरह प्रमाणित पाई गई, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई। मामले के सामने आने के बाद VDA कर्मचारियों में हड़कंप मच गया था।
भवन स्वामी दीपक कुमार ने मार्च 2024 में तत्कालीन VDA उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग से लिखित शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि 3 मार्च 2024 को विजय कुमार मिश्रा ने उनके निर्माण को अवैध बताते हुए 50 हजार रुपये की मांग की और पैसे न देने पर बुलडोजर चलवाने की धमकी दी। शिकायत के साथ कॉल रिकॉर्डिंग भी सौंपी गई थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण स्तर पर जांच शुरू की गई।
प्रकरण की जांच का जिम्मा VDA सचिव डॉ. वी.पी. मिश्रा को सौंपा गया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि संबंधित कर्मचारी ने न केवल रिश्वत की मांग की, बल्कि अवैध निर्माण को संरक्षण देकर विभाग की छवि को भी नुकसान पहुंचाया। प्रथम दृष्टया आरोप सिद्ध होने पर 18 मार्च 2024 को विजय कुमार मिश्रा को निलंबित करते हुए संपत्ति कार्यालय से संबद्ध किया गया था, इसके बाद विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई।
जांच के दौरान आरोपी कर्मचारी को आरोप पत्र जारी कर अपना पक्ष रखने के कई अवसर दिए गए, लेकिन वह अपने बचाव में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। वहीं शिकायतकर्ता दीपक कुमार और उनके भाई विनय कुमार ने अगस्त 2025 में जांच अधिकारी के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए। सभी तथ्यों, साक्ष्यों और बयानों के आधार पर 18 अक्टूबर 2025 को अंतिम जांच रिपोर्ट VDA उपाध्यक्ष को सौंपी गई। अंतिम अवसर दिए जाने के बावजूद आरोपी द्वारा कोई जवाब न देने पर प्राधिकरण ने बर्खास्तगी की अंतिम कार्रवाई की।
इस पूरे प्रकरण पर VDA उपाध्यक्ष पूर्ण बोरा ने स्पष्ट कहा कि भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण को बढ़ावा देने वालों के लिए प्राधिकरण में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण आम नागरिकों की सेवा और नियोजित विकास के लिए है, न कि अवैध वसूली के लिए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि अन्य कर्मचारियों की गतिविधियों की लगातार समीक्षा की जा रही है और कहीं भी अनियमितता या भ्रष्टाचार सामने आने पर दोषियों के खिलाफ इसी तरह की सख्त कार्रवाई की जाएगी।
