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वाराणसी

एक वोटर, पाँच सूचियां! एसआईआर को लेकर फैली गलतफहमी पर लगा ब्रेक

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वाराणसी। निर्वाचन आयोग की ओर से इन दिनों मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) चलाया जा रहा है, लेकिन इसे लेकर आम मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कई लोग यह मान रहे हैं कि यदि उन्होंने नगर निगम या ग्राम पंचायत चुनाव में मतदान किया है तो उनका नाम स्वतः विधानसभा की मतदाता सूची में भी दर्ज होगा, जबकि वास्तविकता इससे अलग है।

दरअसल, निर्वाचन प्रणाली के अंतर्गत मतदाता सूची के कुल पाँच अलग-अलग प्रकार होते हैं और सभी की पात्रता व प्रक्रिया भिन्न होती है। वर्तमान में यह जानना बेहद जरूरी है कि एसआईआर किस सूची से संबंधित है।

सामान्य रूप से मतदाता सूची तीन प्रमुख स्तरों विधानसभा, नगर निकाय और ग्राम पंचायत के लिए तैयार की जाती है। इसके अतिरिक्त स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अलग विशेष मतदाता सूचियां बनाई जाती हैं। हर भारतीय नागरिक विधानसभा, नगर निकाय या ग्राम पंचायत की सूची में मतदाता बन सकता है, लेकिन एमएलसी चुनाव की सूचियों के लिए विशेष योग्यता अनिवार्य होती है।

विधानसभा मतदाता सूची सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यही सूची लोकसभा चुनाव में भी प्रयुक्त होती है। एक बार इस सूची में नाम दर्ज हो जाने पर मतदाता आजीवन विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान का अधिकार रखता है। मतदाता पहचान पत्र भी इसी सूची के आधार पर जारी किया जाता है। वर्तमान में चल रहा एसआईआर इसी विधानसभा मतदाता सूची से संबंधित है।

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नगर निकाय मतदाता सूची नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों के लिए अलग-अलग तैयार की जाती है। यह वार्डवार बनाई जाती है और इसका पुनरीक्षण नगर निकाय चुनाव से पहले किया जाता है।

ग्राम पंचायत मतदाता सूची ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होती है, जिसमें केवल गांव के निवासी मतदाता होते हैं। इस सूची का पुनरीक्षण पंचायत चुनाव से पूर्व कराया जाता है।

इसके अलावा स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की विशेष मतदाता सूचियां एमएलसी चुनाव के लिए तैयार की जाती हैं। स्नातक उत्तीर्ण नागरिक स्नातक एमएलसी और निर्धारित अर्हता वाले शिक्षक शिक्षक एमएलसी चुनाव के मतदाता होते हैं। ये सूचियां केवल चुनाव अवधि के लिए मान्य होती हैं और चुनाव संपन्न होने के बाद निरस्त कर दी जाती हैं।

इस प्रकार, अलग-अलग चुनावों के लिए अलग मतदाता सूचियां होने के कारण यह जरूरी है कि मतदाता यह स्पष्ट रूप से समझें कि उनका नाम किस सूची में दर्ज है और वर्तमान पुनरीक्षण किससे जुड़ा हुआ है। निर्वाचन आयोग का यह प्रयास मतदाताओं को जागरूक करने और त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

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