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धर्म-कर्म

आस्था, परंपरा और लोकविश्वास का केंद्र है बारीपुर हनुमान मंदिर

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देवरिया। जिले के बारीपुर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर आज न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह गांव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण आधार भी माना जाता है। लोकमान्यताओं के अनुसार यह मंदिर कई दशकों—यहाँ तक कि कुछ लोगों द्वारा सैकड़ों वर्षों—पुराना बताया जाता है। हालांकि इसके निर्माण की सटीक तिथि का दस्तावेज़ी प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन बुजुर्गों की स्मृतियों और स्थानीय कथाओं में इस धाम का उल्लेख लंबे समय से मिलता रहा है।

मंदिर से जुड़े पुराने निवासियों का कहना है कि पहले यहाँ घना जंगल हुआ करता था। मान्यता है कि किसी चरवाहे या ग्रामीण को एक पेड़ के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा प्राप्त हुई थी। इसके बाद गांव के लोगों ने सामूहिक प्रयास से एक छोटा सा मंदिर बनवाया, जो समय के साथ विस्तार पाता चला गया। धीरे-धीरे यह स्थान पूजा–अर्चना, धार्मिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक साधना का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा।

स्थानीय महंतों के अनुसार पहले मंदिर का निर्माण कच्ची दीवारों और मिट्टी की ईंटों से हुआ था। बाद के दशकों में, ग्रामीणों और भक्तों के सहयोग से इसे पक्के स्वरूप में विकसित किया गया। आज मंदिर का मुख्य गर्भगृह, विशाल प्रांगण, द्वार संरचना और पूजा–स्थल विकास की गवाही देते हैं। कई बार मंदिर परिसर में सौंदर्यीकरण व मरम्मत का कार्य भी किया जा चुका है, जिससे इसकी भव्यता लगातार बढ़ती गई।

मंदिर के इतिहास से जुड़े उत्सवों में मंगलवार और शनिवार विशेष महत्व रखते हैं। मान्यता है कि इन दिनों हनुमान जी की पूजा करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और बाधाएँ दूर होती हैं। कुछ वरिष्ठ ग्रामीण बताते हैं कि वर्षों पहले यहाँ से गुजरने वाले साधु–संत भी रुककर पूजा करते थे, जिससे यह स्थान और भी पवित्र माना जाने लगा। धीरे-धीरे दूर–दराज़ के क्षेत्रों में भी इस मंदिर की ख्याति फैलती गई और भक्तों का आना-जाना नियमित हो गया।

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हाल ही में मंदिर में हुए विकास कार्यों ने इसे और भी आकर्षक बना दिया है। दीवारों पर धार्मिक चित्रांकन, साफ–सुथरा प्रांगण, सुसज्जित दीप–स्थल और सुगम प्रवेश मार्ग इसे आधुनिक सुविधाओं से जोड़ते हैं, वहीं इसका सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप जस का तस बना हुआ है। मंदिर समिति ने बताया कि हर वर्ष यहाँ विशेष हनुमान जन्मोत्सव, सुंदरकांड पाठ, भंडारा और भजन–संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें आसपास के गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बारीपुर हनुमान जी मंदिर ने न केवल धार्मिक दृष्टि से गांव को एकजुट किया है, बल्कि यह सामाजिक मेल–मिलाप, सद्भाव और सामुदायिक सहयोग का भी स्थल है। मंदिर परिसर में समय-समय पर सामाजिक कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान और जन–सेवा गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं।

आज बारीपुर हनुमान जी का यह मंदिर अपने इतिहास, आस्था और परंपरा के साथ क्षेत्र की पहचान बन चुका है। भक्तों का कहना है कि यह स्थान गांव की आत्मा जैसा है—जहाँ शांति, विश्वास और अध्यात्म एक साथ महसूस होते हैं।

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