वाराणसी
बनारस के घाटों पर गूंजेगी संत कबीर की अमर वाणी
 
																								
												
												
											वाराणसी। संत कबीर की कालजयी शिक्षाओं और संगीत, विचार व संस्कृति के संगम को समर्पित महिंद्रा कबीर महोत्सव 2025 इस वर्ष 19 से 21 दिसंबर तक बनारस के ऐतिहासिक घाटों पर अपनी सुमधुर गूंज बिखेरने जा रहा है। महिंद्रा समूह द्वारा संस्थापित और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा निर्मित यह महोत्सव अपने नौवें संस्करण में 15वीं सदी के महान संत-कवि कबीर की विरासत को गंगा की पवित्र धारा के संग भावपूर्ण रूप में मनाएगा।
तीन दिवसीय इस सांस्कृतिक महोत्सव की शुरुआत 19 दिसंबर को गुलरिया कोठी में भव्य गंगा आरती और स्वागत संबोधन से होगी। उद्घाटन सत्र में महिंद्रा समूह के वाइस प्रेसिडेंट एवं सांस्कृतिक आउटरीच के हेड जय शाह और टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय अतिथि होंगे। कबीरचौरा मठ आश्रम के विद्वान उमेश कबीर कबीर दर्शन पर अपने विचार साझा करेंगे, जिसके बाद रहमत-ए-नुसरत समूह अपनी कव्वाली ‘कबीरियत’ के जरिए सूफियाना रंग घोलेंगे।
20 दिसंबर की सुबह गुलरिया कोठी में मॉर्निंग म्यूज़िक सत्र में स्वाति तिवारी और प्रसिद्ध सितार वादक हिदायत हुसैन ख़ाँ अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। दोपहर में कबीर द जुलाहा: वर्सेज़ फ्रॉम द लूम नामक संगीतमय नाट्य प्रस्तुति में शिवांगिनी येशु युवराज और ईशा प्रिया सिंह कबीर के संत और शिल्पकार रूपों को जीवंत करेंगी। शाम को शिवाला घाट पर लोक कलाकार महेशा राम कबीर वाणी के भावों को स्वर देंगे, जबकि समापन सुप्रसिद्ध गायक राहुल देशपांडे की शास्त्रीय गायकी से होगा।
21 दिसंबर की सुबह तेजस्विनी वर्नेक़र खयाल गायन और देबसमिता भट्टाचार्य सारोद वादन के साथ दिन की शुरुआत करेंगी। दोपहर में विचार-विमर्श के सत्र होंगे, जबकि अंतिम शाम शिवाला घाट पर आदित्य प्रकाश एन्सेम्बल और कर्नाटक प्रोग्रेसिव रॉक बैंड अगम अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से कबीर की विद्रोही और आत्मान्वेषी भावना को सुरों में पिरोएंगे।
महोत्सव के दौरान संगीत प्रस्तुतियों के साथ-साथ हेरिटेज वॉक, मंदिर भ्रमण और कबीर के बनारस में वर्णित आध्यात्मिक स्थलों की यात्राएँ भी होंगी, जिससे प्रतिभागी इस शहर की बहुआयामी सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कर सकेंगे।
टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय ने कहा, “हर वर्ष यह महोत्सव हमें याद दिलाता है कि कबीर के शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जो हमें आत्ममंथन और विचार की दिशा दिखाते हैं।” वहीं महिंद्रा समूह के जय शाह ने कहा, “यह उत्सव अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाला सेतु है, जो ‘विविधता में एकता’ के संदेश को जीवंत करता है।”
महिंद्रा कबीर महोत्सव पर्यावरणीय सततता के प्रति भी प्रतिबद्ध है। इसे ज़ीरो-वेस्ट इवेंट के रूप में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक, पुन: प्रयोग योग्य सामग्री का उपयोग और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए ‘स्क्रैप’ संस्था के साथ साझेदारी की गई है। इसी प्रयास के तहत महोत्सव को येल विश्वविद्यालय से प्लेटिनम लेवल ग्रीन इवेंट सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है।
बनारस के घाटों पर कबीर की वाणी, संगीत, विचार और पर्यावरण चेतना का यह अनूठा संगम इस दिसंबर शहर को अध्यात्म, कला और संस्कृति के सुरों से सराबोर कर देगा।

 
 
         
 
         
 
         
																	
																															 
									 
																	 
									 
																	 
									 
																	 
									 
																	 
									 
																	 
									