गोरखपुर
आस्था की शक्ति के आगे झुके इंद्रदेव, छठ मैया के आगे पिघली बारिश
गोरखपुर। कहते हैं जब आस्था जागती है, तब प्रकृति भी सिर झुका देती है। छठ पर्व के अवसर पर मंगलवार की सुबह गोरखपुर दक्षिणांचल के खजनी थाना क्षेत्र के साखडाड पांडेय और सेमरडाडी गांव में ऐसा ही चमत्कारिक दृश्य देखने को मिला। सुबह जैसे ही व्रती महिलाएं अर्घ्य देने के लिए घाटों और पोखरों पर पहुंचीं, तभी इंद्रदेव ने तेज़ बरसात के साथ परीक्षा लेनी चाही, लेकिन आस्था की लौ इतनी प्रज्वलित थी कि बारिश भी उस श्रद्धा के आगे ठहर गई।

साखडाड के प्राचीन पोखरे से लेकर सभी क्षेत्र के छोटे जलाशयों तक चारों ओर छठी मैया के गीत गूंज रहे थे—“केलवा जरा जरा, छठी मइया आवेली अंगना।” सुबह की पहली किरण के साथ जलाशयों के किनारे व्रती महिलाएं जल में कमर तक डूबीं, हाथों में बांस का डाला, माथे पर सिंदूर की लकीर और होंठों पर अटूट विश्वास। इंद्रदेव की गरज के बीच जब बूंदें बरसने लगीं, तब भी कोई पीछे नहीं हटा। महिलाएं मुस्कुराकर बोलीं—“छठी मइया बरसात में भी हमारी सुनेंगी, हम नहीं डिगेंगे।”
गोरखपुर के दक्षिणांचल में यह नज़ारा किसी आस्था के महासागर से कम नहीं था। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी श्रद्धा में डूबे हुए थे। साखडाड पांडेय के पोखरे पर लोगों की भीड़ इतनी अधिक थी कि रास्तों तक में दीये की पंक्तियाँ जगमगा उठीं। बारिश के बावजूद दीपक की लौ नहीं बुझी, बल्कि और अधिक दमक उठी। यह नज़ारा यह बताने के लिए काफी था कि जब आस्था सच्ची हो, तो जल भी बाधा नहीं बनता, बल्कि आशीर्वाद बनकर बरसता है।

खजनी क्षेत्र में सुबह के समय आसमान घिरा हुआ था, हल्की-तेज़ बारिश रुक-रुक कर होती रही, लेकिन श्रद्धालु व्रती महिलाओं के चेहरे पर किसी प्रकार का भय नहीं था। उनके चेहरों पर अद्भुत शांति और भक्ति का तेज़ था। लोग अपने परिवारों के साथ तालाबों, नदी किनारों और जलाशयों में जुटे हुए थे। कहीं पूजा के गीत गूंज रहे थे, तो कहीं बच्चों की हंसी और दीपों की जगमगाहट मिलकर वातावरण को पावन बना रही थी।
साखडाड पांडेय और सेमरडाडी दोनों गांवों में सूर्य को अर्घ्य देने के समय दृश्य इतना भावनात्मक था कि हर आंख नम हो उठी। बूंदाबांदी के बीच व्रती महिलाएं सूर्यदेव से अपने परिवार की खुशहाली, संतान की लंबी उम्र और घर-आंगन में सुख-शांति की कामना कर रही थीं। इंद्रदेव की गरज जैसे श्रद्धा के गीतों में खो गई हो। कुछ ही देर बाद आसमान साफ हुआ और पूरब दिशा से सूर्य की लालिमा झिलमिलाई। लोगों ने इसे छठी मैया की कृपा माना।

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पिछले कई वर्षों में ऐसा दृश्य पहली बार देखा गया जहां बरसात और पूजा एक साथ हुई हो और फिर भी आस्था ने जीत हासिल की हो। महिलाओं ने कहा, “छठ मैया के व्रत में तन भिगो जाए, पर मन की श्रद्धा कभी नहीं डिगेगी।”
आज गोरखपुर दक्षिणांचल ने यह सिद्ध कर दिया कि आस्था की शक्ति के आगे इंद्रदेव भी विवश हो जाते हैं। साखडाड पांडेय और सेमरडाडी में छठी मैया की जयकारे से आसमान गूंज उठा, और हर हृदय ने अनुभव किया “जहाँ श्रद्धा होती है, वहाँ ईश्वर स्वयं उतर आते हैं
