गोरखपुर
सतुआभार रेहरवा संपर्क मार्ग पर चलना दूभर, ग्रामीण चोटिल; जिम्मेदार बेपरवाह
गोरखपुर। शासन की मंशा भले ही ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और बेहतर कनेक्टिविटी की हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। गोरखपुर को कई गांवों से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण सतुआभार रेहरवा संपर्क मार्ग वर्तमान में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। सड़क की खस्ताहालत इतनी गंभीर है कि यह राहगीरों के लिए लगातार दुर्घटना का सबब बन रही है, लेकिन अफसोस की बात है कि जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराए जाने के बाद भी इस पर किसी की नजर नहीं है।
यह संपर्क मार्ग आसपास के अनेकों गांवों को गोरखपुर मुख्य शहर से जोड़ता है। यह क्षेत्र के लोगों के लिए मुख्य आवागमन का जरिया है, जो रात में मुश्किल से तीन से चार घंटे ही बंद रहता है। बाकी समय इस पर वाहनों और लोगों की आवाजाही बनी रहती है। सड़क में गहरे गड्ढे और उखड़ी हुई गिट्टियां इसकी पहचान बन चुकी हैं। दिन में तो जैसे-तैसे लोग सफर कर लेते हैं, लेकिन रात्रि के समय में इस मार्ग पर चलना बेहद खतरनाक और चुनौती भरा हो गया है। अंधेरे में ये जानलेवा गड्ढे दिखाई नहीं देते, जिसकी वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, सड़क की हालत इतनी खराब है कि अब तक कई लोग गिरकर गंभीर रूप से चोटिल हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क पर पैदल चलना या दुपहिया वाहन चलाना तो दूर, चार पहिया वाहनों को भी क्षति पहुंच रही है। लगातार धूल उड़ने से आसपास के लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क की मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए शासन द्वारा हमेशा बजट आवंटित किया जाता है, लेकिन यह पैसा कहां और कैसे खर्च होता है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने कई बार स्थानीय और उच्च अधिकारियों को सड़क की दयनीय स्थिति से अवगत कराया है, लिखित शिकायतें भी दी गई हैं, परंतु नतीजा सिफर रहा है। अधिकारियों की इस मामले में बेपरवाही समझ से परे है। ऐसा लगता है कि किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार किया जा रहा है, तभी प्रशासन की नींद खुलेगी।
आसपास के ग्रामीण एकजुट होकर मांग कर रहे हैं कि जनहित को ध्यान में रखते हुए, इस अति महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग का तत्काल प्रभाव से मरम्मत कार्य शुरू किया जाए, ताकि लोगों को जान जोखिम में डालकर यात्रा न करनी पड़े। उन्होंने जिलाधिकारी और लोक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने और शीघ्र समाधान करने की अपील की है।
इस महत्वपूर्ण मार्ग की जर्जर स्थिति न केवल ग्रामीणों के जीवन को कठिन बना रही है, बल्कि यह शासन की ‘विकास’ के दावों पर भी सवालिया निशान लगाती है। यह देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी कब इस मामले को गंभीरता से लेते हैं और कब इस सड़क का जीर्णोद्धार होता है।
