वाराणसी
बीएचयू के लिपिक को एक लाख जुर्माने सहित पांच साल की सजा
वाराणसी। सीबीआई अदालत ने रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वरिष्ठ सहायक (लिपिक) राजेश कुमार को दोषी ठहराते हुए पांच वर्ष के कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। यह मामला 2 जून 2016 का है, जब सीबीआई ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी।
प्राथमिकी के अनुसार आरोप है कि शिकायतकर्ता के पिता स्वर्गीय कल्लू, जो बीएचयू में स्वीपर थे और सेवाकाल के दौरान ही निधन हो गए थे, उनके मृत्युदरम्यान मिलने वाले लाभ की प्रक्रिया तेज करने और लाभ जारी करवाने के नाम पर राजेश कुमार ने 75,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी। सीबीआई ने जाल बिछाकर मौके पर कार्रवाई की और आरोपी को शिकायतकर्ता से 30,000 रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 30 जून 2016 को आरोप पत्र दाखिल किया था। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने राजेश कुमार को दोषी करार दिया और दंड सुनाया।
न्यायालय ने सजा के साथ आर्थिक दंड भी लगाया है और मुकदमे से जुड़ी अन्य औपचारिकताएँ पूरी करने का निर्देश दिया गया है। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश देता है और सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता व जवाबदेही पर प्रकाश डालता है।
