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गोरखपुर

पितृ पक्ष: आत्मा और पूर्वजों से जुड़ाव का पावन अवसर

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गोरखपुर। हर वर्ष श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष का आगमन हमें हमारे जीवन की उन गहरी जड़ों की याद दिलाता है, जिन पर आज हमारी पहचान खड़ी है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि आत्मा का वह पावन सेतु है जो हमें हमारे पूर्वजों से जोड़ता है।

पंडित प्रवीण कुमार पांडे, हरपुर वुदहट, गोरखपुर बताते हैं कि पितृ पक्ष का महत्व केवल कर्मकांड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मीय जुड़ाव, कृतज्ञता और पूर्वजों की प्रेरणाओं को याद करने का अवसर है।हमारे पूर्वजों का जीवन त्याग, तपस्या और परिश्रम से परिपूर्ण रहा है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में जीवन जीते हुए परिवार की नींव रखी और हमें आज की राह दिखाई।

उनके त्याग ने ही हमें एक पहचान और संस्कार दिए। जिस मिट्टी पर हम खड़े हैं, उसमें उनके पसीने की सुगंध बसी है।पितरों ने जो जीवन मार्ग अपनाया, वह केवल उनके लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना। उनका परिश्रम और संघर्ष हमें सिखाता है कि बिना मेहनत और धैर्य के कोई भी ऊँचाई हासिल नहीं की जा सकती।

आज का सुख और समृद्धि उनके द्वारा रखे गए उस मजबूत आधार की ही देन है।पूर्वज हमारे जीवन का वह दीपस्तंभ हैं, जिनकी रोशनी आज भी हमारे परिवार, समाज और संस्कारों को आलोकित कर रही है। यदि हम अपने पूर्वजों को भूल जाएँ तो हमारी पहचान अधूरी रह जाएगी। उनका महत्व केवल अतीत में नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य को भी दिशा देने में है।परिवार का हर तिनका-तिनका जोड़कर हमारे पूर्वजों ने एक ऐसा आशियाना खड़ा किया, जो आज हमारे खानदान की पहचान है।

उनके आशीर्वाद और त्याग से ही परिवार एकजुट होकर खड़ा है। उनकी छोड़ी गई परंपराएँ और संस्कार हमें मजबूती प्रदान करते हैं।पितृ पक्ष हमें अपने पूर्वजों के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर देता है। यह वह समय है जब हम उन्हें नमन करते हुए कहते हैं कि “आपके बिना हम कुछ भी नहीं।” यह कृतज्ञता का पर्व है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हमारी सफलता में उनका भी उतना ही योगदान है।

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भारतीय संस्कृति में पितरों को देवताओं के समान स्थान दिया गया है। “पितृ देवो भव” का अर्थ है कि पूर्वजों का स्मरण और उनकी पूजा करना उतना ही आवश्यक है जितना देवताओं की उपासना करना। उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करना केवल धार्मिक कर्तव्य ही नहीं बल्कि भावनात्मक जिम्मेदारी भी है।

पूर्वजों का नाम लेना और उनके आदर्शों को याद करना हमें नैतिक और आध्यात्मिक रूप से जागृत करता है। जब हम उनका स्मरण करते हैं तो यह केवल अतीत को याद करना नहीं होता, बल्कि वर्तमान में एक आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा भी मिलती है। यह जागृति ही हमें सही राह पर चलने की ताकत देती है।यह पक्ष साल में एक बार हमें याद दिलाता है कि हमारे अस्तित्व की जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हैं।

उनके बिना न तो हम हैं और न ही हमारी पहचान। वे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, जिनकी बदौलत आज हम खड़े हैं।पितृ पक्ष केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई और पारिवारिक एकता का संदेश देता है।

यह हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने, पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने तथा आने वाली पीढ़ी को सही मार्ग दिखाने का संकल्प कराता है।संक्षेप में, पितृ पक्ष वह समय है जब हम अपनी व्यस्त जिंदगी से थोड़ा ठहरकर अपने पूर्वजों को याद करें, उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करें और उनके प्रति आभार व्यक्त करें। यह केवल श्रद्धा का पर्व नहीं, बल्कि आत्मा और परंपरा से जुड़ने का पावन अवसर है।

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