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वाराणसी

आवारा कुत्तों और बंदरों ने आठ हजार से अधिक लोगों को किया घायल

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वाराणसी में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। जनवरी 2025 से अब तक महज 230 दिनों में 8000 से अधिक लोग इनके हमले का शिकार हो चुके हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे बच्चे हैं, जिनके डरावने अनुभव अब परिजनों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं

एंटी रेबीज इंजेक्शन पर सरकार ने खर्च किए डेढ़ करोड़
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जनवरी से अब तक 11,102 मरीजों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया गया। प्रत्येक मरीज को चार डोज मिलते हैं और एक डोज की कीमत 350 रुपये है। इस तरह सरकार अब तक 1 करोड़ 55 लाख से अधिक खर्च कर चुकी है।

कैंट की 15 वर्षीय परी रोजाना आवारा कुत्तों को खाना खिलाती थी लेकिन एक सप्ताह पहले उसी ने उसे काट लिया। हंस नगर के 10 वर्षीय अभिनव को 17 अगस्त को कुत्तों ने बुरी तरह नोच डाला, अब वह अंधेरा होने के बाद बाहर निकलने से डरता है। इन घटनाओं ने मासूमों के मन में दहशत भर दी है।

जुलाई और अप्रैल में सबसे ज्यादा मामले
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2025 में 2927 और अप्रैल में 2499 मरीज अस्पताल पहुंचे। मई और जून में भी औसतन 2200 से ज्यादा लोग इंजेक्शन लगवाने आए।

बंदरों ने भी बढ़ाई मुश्किलें
संकटमोचन, दुर्गाकुंड, कबीरनगर और शिवपुर जैसे क्षेत्रों में बंदरों का आतंक है। जुलाई में नगर निगम ने गोरखपुर से विशेष टीम बुलाकर 530 बंदरों को पकड़ा और उन्हें मिर्जापुर के जंगलों में छोड़ा।

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30 हजार आवारा कुत्ते, अभियान नाकाफी
पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक शहर में करीब 30 हजार आवारा कुत्ते हैं। समय-समय पर अभियान तो चलाए जाते हैं, लेकिन बढ़ती घटनाएँ इन प्रयासों को नाकाफी साबित कर रही हैं।

राजकीय अस्पताल में रोज आते हैं 100 से ज्यादा केस

पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय में प्रतिदिन 100 से 125 डॉग और मंकी बाइट के मरीज पहुँचते हैं। यहां सातों दिन इंजेक्शन उपलब्ध रहता है और रविवार को भी इलाज में कोई रुकावट नहीं आती।

जल्द शुरू होगा बंध्याकरण अभियान
नगर निगम के अनुसार बड़ा लालपुर स्थित सेंटर पर जल्द ही आवारा कुत्तों का बंध्याकरण शुरू होगा। साथ ही पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन का अभियान भी चल रहा है। अब तक 253 पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है और अक्टूबर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है।

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